रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

होरी के हुरियारे

होरी के हुरियारे

===========

 होरी के हुरियारे फिर रए,

हाथन में लएं गुलाल।

बैर भाव सब भूल कैं,

ना रखियो मन में मलाल।।

=================

 आम बौरा रए बगियन में,

भौंरा गुंजन करत सब ओर

मौसम होरी खेल रओ,

दिगदिगन्त चहुं ओर।।

===============

 बाल गोपाल रंगते फिरें, 

एक दूजे के संग

हल्ला हुल्लड़ करत हैं,

खूब लगाऊत रंग।

=============

 गुब्बारे भरे रंग सें,

फेंक रए हर ओर।।

लगत जबई वे जोर सें, 

खूब रंगत हैं जोर।

=============

 खुशबू आ रई जोर की,

खुरमा गुझियां पापड़ी।

बहू बना रई रसोई में,

बड़ी देर सैं लगी पड़ी।

==============

 देवरा आए दूर सैं,

भाभी रंगी गई वहीं खड़ी।

भाभी भी कम है नईयां,

देवरा पै मिर्चन की चटनी पड़ी।

====================

 बैर भाव मन होलिका,

प्रीति पगे प्रहलाद।

हम करते परकम्मा,

खुशियन कौ पाएं प्रसाद।।

================

 ग्वाल रंगे हैं कृष्ण रंग,

राधा रंगी हैं लाल।

मगन मन सखियां भईं,

उड़ाऊतीं हैं गुलाल।।

===============

कक्का दद्दा ताऊ के,

पैरन धरौ गुलाल,

साली खौं सबरो रंगौ,

देवरा कौ माथो लाल।।

=================

सारारा पिचकारी मारी,

प्रिया रंगी गईं प्रेम रंग।

सखा संग रंग खेल लें,

जब तक चढ़ै न भंग।।

================

 फागुआ गाएं चौपाल पै,

लै कें मंजीरा ढोलक संग।

जे होरी के हुरियारे फिर रए 

भैय्या भोतई मस्त मलंग।।

==============

काव्य रचना,

शोभा शर्मा@सर्वाधिकार सुरक्षित  

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु