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ना रोको मेरी उड़ान को

ना रोको मेरी उडान को

बनकर मेरे पैरों की बेड़ी


उड़ने दो पंछी की तरह मुझे भी

आझादी से इस खुले आसमान में


ना लो कोई मेरी परीक्षा

ना करो कोई सवाल-जवाब


ना लो कोई फैसले मेरे जीवन के

ना करो मुझे मजबूर चलने को उन फैसलोंपर


चलने दो मुझे अपने उसूलोंपर

बटोरने दो मुझे मेरे हिस्से की खुशियां


ना याद दिलाना मुझे मेरी जिम्मेदारियां 

ना रखना अपेक्षाएँ मुझसे त्याग और समर्पण की

 

ना रखना मुझे पैर की जूती बनाकर 

ना ही मूर्ति बनाकर सजाना घर में


ना करो जान कर अनजाना मेरे अस्तित्व को

ना करो कोशिश कुचलने की मेरे स्वाभिमान को


ना चाहती हूँ मैं आपसे शाबासियां

ना मेरे बेदाग चरित्र का प्रमाणपत्र


ना करो कोशिश बनने की मेरे भगवान 

ना करो प्रयास मेरी तकदीर बदलने का

ना ही करो हिसाब मेरी गलतियों का 


ना है किसीको ये हक इस दुनिया में 

ना कोई इंसान बना है इस लायक

ये हक तो है बस एक उस उपरवाले को 

जिस के हाथों में है हम सबके जीवन की डोर


© राधिका गोडबोले

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