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आठोळी

 आठोळी

     

शीर्षक.. निशिगंधा


धरणीच्या कुशीमध्ये

फुले  छान   बहरली 

गंध सुवासिक माझ्या 

अंगणात    पसरली


सायली  संगे  चमेली

*निशिगंधा*  भारावली

प्रातःकाळ   आनंदाने

ओंजळीत   विसावली


     सौ रेखा अडसुळे

          जालना 

          

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