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हिसाब

हे जिंदगी, 
क्या कहूँ तुझे, 
क्या क्या खोया और क्या है पाया,
तेरी हिसाब वाली बुक के,,
कुछ पन्ने जो फट गए,
कुछ जो रहे बाकी। 
उनमे कई पल खुशियों भरे,
तो कुछ है गमो के सागर से।
दिल दुखाने वालो की, 
तूने एंट्री की डेबिट साइड,
जिसने बांटे खुशियों के पल,
उसकी जमा पूंजी बढाई है।
जिंदगी को कभी तुने बारिस,
की बूँदों से नहलाया ,
तो कभी तेज धूप मे जलाया है।
जी करता, 
जो भी मेरी राह मे आये,
हँसता हँसाता मे चलू।
ताकि तेरी हिसाब की बुक मे,
कोई ना एंट्री मेरी डेबिट साइड हो।
जो चला है मेरे साथ,
उसको मैंने चाहाँ है जी भरकर,
एक भी ना मिलेगा उदाहरण ,
मेरी बेवफाई का,
इतना तो संतोष है मन को मेरे,
ना है किसी से बेर ना कोई शिकायत,
तभी तो उम्मीद है मैंने पाली,
की जिंदगी के हिसाब मे,
शत प्रतिशत नंबर मुझे मिलेंगे।
लव यू जिंदगी
भरत माली (राज) 


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