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जब मैं छोटा बच्चा था

मैं बच्चा था अच्छा था,

सबकी आँखों का तारा था, 

घर वालों का दुलारा था,

सबका प्यारा था,

जब तक बच्चा था, 

सबका प्यार सच्चा था, 

बड़ा हुआ सब बदल गया, 

सब कन्नी काटने लगे,

जो सबसे ज्यादा चाहते थे,

वे अब नफरत करने लगे, 

सब अजनबी से रहने लगे, 

लोग धीरे-धीरे दूर होने  लगे,

बेवजह के इल्जाम लगने लगे, 

इतना बदलाव समझ नही आया, 

लोग मुझे नसीहत देने लगे, 

लोग मुझे जाहिल कहने लगे, 

पग-पग ठोकरें खाने लगा, 

मेरा बड़ा होना रास नही आया,

बड़ा होना गुनाह हो गया, 

कभी जिनकी आँखों का तारा था, 

उन्हीं की आँखों का कांटा बन गया,

अब बहुत कुछ समझ आ गया, 

दुनिया में जीना इतना आसान नहीं, 

जब तक बच्चा था अच्छा था, 

सबकी आँखों का तारा था ||

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धन्यवाद

पी एन माथुर

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