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सपनों की रानी

      “मैं तुमसे बेइंतिहा मुहब्बत करता हूँ। तुम्हारे बैगेर एक पल भी जिंदा रहना मुझे गवारा नहीं है। तू मेरी हर साँस में बसी है। मेरे दिल की धडकन में तु रहेती है। मेरे खून का हर एक कतरा बस यही कहेता है की, निलिमा आई लव यु...“ सुंधाशु अपने घूंटनो के बल बैठकर गिडगिडाने लगा, “निलिमा, बस एकबार तुम कह दो की तुम मुझसे प्यार करती हो। बस एकबार मुझे आई लव यु कह दो... बस एकबार...”
      थोड़ीदेर तक सन्नाटा छाया रहा और फिर ख़ामोशी को चीरती हुई डायरेक्टर विक्रम सिन्हा की आवाज गूंजी, “कट”
      इसी के साथ सभी लोग एक्टर सुंधाशु और मोहिनी को घिर गए।
      डायरेक्टर विक्रम पास आकर बोले, “सुंधाशु, क्या लाजवाब एक्टिंग की है तुमने। एक पल तो मुझे एसा लगा की तुम वाकई में मिस मोहिनी के सामने अपने प्यार का इजहार कर रहे हो।“
      मोहिनी इस फिल्म में सुंधाशु की प्रेमिका निलिमा का किरदार निभा रही थी। वैसे तो मोहिनी और सुंधाशु ने मिलकर अब तक ढेरो फिल्मो में काम किया था। जिसमें से ज्यादातर फिल्मे सुपरहिट साबित हुई थी। इस का कारण यह था की मोहिनी और सुंधाशु की जोड़ी को प्रेक्षक बेहद पसंद करते थे।
      “डायरेक्टर, मुझे तो इस मोहिनी के चहेरे को देखकर डर लगने लगा था की कही यह सच में मुझे आई लव यु न कह दे।“
      यह सुनकर मोहिनी झल्लाहट से बोली, “कुछ भी बकवास मत करो। अगर इस दुनिया में हम दोनों ही बच जाए फिर भी मैं तुम्हे आई लव यु नहीं बोलूँगी।“
      “तुम्हारे मुंह से आई लव यु सुनने से अच्छा है की मैं किसी गधी से शादी कर लूँ।”
      दोनों की नोकझोक सुनकर डायरेक्टर सुंधाशु बोले, “तुम दोनों फिर से चालु हो गए? पता नहीं तुम्हारे दोनों के बिच का यह झगड़ा कब खतम होगा? मुझे समझ नहीं आता की केमेरा चालू होते जो लोग आपस में इतना प्यार करने लगते है; वह केमेरा ऑफ़ होते ही एकदूसरे से इतनी नफरत कैसे कर सकते है? आख़िरकार तुम दोनों एक्टिंग कौन सी करते हो वह या यह?”
      दोनों को खामोश देख डायरेक्टर विक्रम आगे बोले, “तुम दोनों में सुलह कब होगी?”
      “हमारे जीते जी तो यह मुमकिन नहीं।“
      “तुम्हे जो करना है वह करो।“ एसा बोलकर सुंधाशु दुसरे सिन की तैयारी में जुट गए। इस सिन में मोहिनी अपने प्यार का इजहार सुंधाशु के सामने करनेवाली थी।
      “लाईट... केमेरा... एक्शन...”
      “दिवारक, कैसे बताऊ की मैं तुम्हे बेहताशा मुहब्बत करती हूँ। लेकिन... लेकिन... इस जालिम दुनिया से डरती हूँ...“
      “निलिमा, जब हमने प्यार किया है तो फिर दुनिया से डरना कैसा? अगर तुम साथ देने को तैयार हो तो में दुनिया से लड़ लूँगा।“
      डायरेक्टर विक्रमने धीमे से पास खड़े को. डायरेक्टर को कहा, “मिश्रा, दोनों की केमेस्ट्री को देख रहे हो?”
      मिश्रा ने सहमती में सिर हिलाते हुए कहा, “हा, एसा लगता है की मानो दोनों एकदूजे के लिए ही बने है।“
      “दोनों को ध्यान से देख। एसा लगता है मानो एक दुसरे में खो जाने के लिए वेह तडप रहे है। तुम जानते हो? इन दोनों की यही केमेस्ट्री फ़िल्मी पडदे पर आग लगा देती है। लेकिन किसी ने सच कहा की फ़िल्मी जीवन में और वास्तविक जीवन में बड़ा अंतर है। मतलब जो पडदे पर दीखता है असलियत उससे कुछ अगल ही होती है।“
      “मैं कुछ समझा नहीं.”
      “अब देख न केमेरा के सामने रोमियो जूलियट दिखनेवाली हमारे विक्रम और मोहिनी की जोड़ी, केमेरा बंध होते ही साप नवेले की जोड़ी बन जायेगी।“
      “यह तो अजीब बात है।“
      “दिवाकर, आई लव यु... मैं तुम्हारे बिना एक पल भी रह नहीं सकती.”
      सुंधाशु और मोहिनी एकदुसरे के बाहों में समाते है डा. विक्रमने कहा, “कट”
      मोहिनी अगले ही पल सुंधाशु से दूर होते हुए बोली, “तू अच्छा मौके का फायदा उठाकर मुझसे चिपकने की कोशिश कर रहा था।“
      “तेरी जैसी छिपकली को गले लगाऊ इतने तो बुरे दिन मेरे नहीं आए।“
      दोनों एक दुसरे से मुंह फेरकर अपनी अपनी वैनिटी वैन की और चल दिए।
*****
      अब अगला सिन थोड़ी दूर आए हुए जंगल में शूट करना था। सुंधाशु द्रश्य के हिसाब से अपने कपड़े बदलकर आ गया था।
      “यह मोहिनी अभी तक आयी नहीं?” सुंधाशु गुस्से से डायरेक्ट विक्रम को सुनाने लगा, “इसका हंमेशा से एसा ही रहा है।“
      डायरेक्टर विक्रम जवाब दे उससे पहेले पीछे सी आई हुई “उइम्मा” की आवाज से दोनों चौक गए। उन्होंने पलटकर देखा तो वहा पर मोहिनी अपने पैर के अंगूठे को दबाए बेठी थी।
      “क्या हुआ?”
      “मैं जल्दी से आ रही थी तब एक पथ्थर की ठोकर लगी।“
      डायरेक्टर विक्रम ने कहा, “ज्यादा लगी तो नहीं?”
      सुंधाशु ने तिरछी नजरो से मोहिनी के अंगूठे की और देखा। लेकिन वहा कोई चोट का निशान न पाकर वह मजाकिए अंदाज से बोला, “बेचारा पथ्थर।“
      “तुमने क्या कहा?”
      “मैंने कहा की जिसको तुम्हारे पैरो की ठोकर लगी हो उस पथ्थर की क्या हालत हुई होगी।“
      “मेरी खिल्ली उड़ाने की कोई जरूरत नहीं है। वैसे भी यह सब तुम्हारे लिए ही हुआ है।“
      “कमाल है! तुम देखकर नहीं चलती उसमें मेरा क्या कसूर?”
      “तुम हरवक्त मुझे देर से आने के लिए ताने मारते रहेते हो। इसलिए आज मैं यहा टाइम से आना चाहती थी। बस इसी हडबडी में मुझे चोट लग गई।“
       “अगर तकलीफ ज्यादा हो तो हम डाक्टर के पास चलते है। यह एम्ब्युलंसवाला भी पता नहीं अभी तक क्यों नहीं आया।“ डायरेक्टर विक्रम की उंगलिया मोबाईल के किपेड पर नाच उठी।
      “नहीं... नहीं... डाक्टर को बुलाने की कोई जरूरत नहीं. मामूली सी ठेस थी अब मुझे बिलकुल ठीक है।“
      “तो फिर शूटिंग शरू की जाए?” विक्रमने थोड़े गुस्से से कहा, “डायरेक्टर, अगर आज शूटिंग पूरी नहीं हुई तो आगले दो हफ्तों तक आपको मेरी कोई डेट नहीं मिलेगी।“
      “मैं तो अगले दो महीनो तक मिलूंगी नहीं। दरअसल मेरी दूसरी फिल्म की शूटिंग के लिए में केलिफोर्निया जा रही हूँ।“
      डायरेक्टर विक्रम जानता था की दोनों एकदूसरे पर रौब झाड़ने की कोशिश कर रहे थे। “ठीक है तो मैं शूटिंग की तैयारी चालु करता हूँ। मोहिनी तुम्हे याद है न की तुम्हे गोली लगने की वजह से तुम “आह....” चिल्लाते हुए उस पेड़ के पीछे से भागती हुई आओगी। ठीक उसी वक्त विक्रम यहा से दौडकर आएगा और तुम्हे अपनी बाहों में संभाल लेगा। तुम सब तैयार हो ना?”
      सब अपनी अपनी जगह पर जाने लगे। मोहिनी कुछ कदम चलकर पीछे मुड़ी और बोली, “विक्रम, तुम अपना रोल सही तरीके से निभाना। वरना बारबार रिटेक देने के चक्कर में तुम मुझे थका दोगे।“
      “तुम्हारा कहेना है की मैं सही ढंग से एक्टिंग नहीं करता?”
      “हा, और खासकर एक्शन द्रश्यो में तुम बड़े कमजोर हो।“
      “अब सीधे तरीके से अपनी जगह पर जा वरना मैं ही यही तुझे गोली मार दूंगा।“
      मोहिनी खिलखिलाते हुए पेड़ो के पीछे चली गई।
      सब लोग अपनी अपनी जगह ले चुके है यह देखकर डायरेक्टर विक्रम जोर से चिल्लाये, “लाईट... केमेरा... एक्शन...”
      मोहिनी की “आह” की आवाज सुनकर सुंधाशु दोड़ने के लिए तैयार हो गया। वह आज मोहिनी को अपनी एक्टिंग का कमाल दिखाना चाहता था। सब लोग सांस थाम कर बैठ गए। फिल्म में यह द्रश्य काफी महत्वपूर्ण होने की वजह से डायरेक्टर विक्रम की पिनड्राप सायलंस की कड़ी सुचना थी।
      यहा मोहिनी पेड़ो के पीछे से आयी नहीं यह देखकर डायरेक्टर विक्रम फिर से बोले, “लाईट... केमेरा... एक्शन...”
      लेकिन पेड़ो के उसपार कोई हरकत न देखकर यहा सब चिंतिति हो गए। सभी लोग परिस्थिति का अंदाजा लगाने की कोशिश कर ही रहे थे की स्पॉटबॉय मोहन पेड़ो के पीछे से चिल्लता हुआ आया, “साप... साप... मेडम को साप ने काट लिया है।“
      यह सुनकर सब के होंश उड़ गए। सुंधाशु किसी छलावे की भांति पेड़ो की और दौड़ पड़ा। उसी के साथ यूनिट के सभी लोग सुंधाशु के पीछे दौड़ पड़े। सुंधाशु ने यहा आकर देखा तो मोहिनी के पैरो पर साप के दांतों के निशान साफसाफ़ दिखाई दे रहे थे। मोहिनी की छटपटाहट देखकर सुंधाशु की रूह कापं उठी।
      डायरेक्टर विक्रम ने कहा, “कोई जल्दी से डाक्टर को बुलाओ.”
      “सर... मुझे लगता है की हमें मेडम को नजदीकी अस्पताल में ले जाना चाहिए।“
      “ठीक है तुम सब मिलकर मोहिनी को उठाके वेटिनी वैन के पास ले चलो।”
      “नहीं रुको...” सुंधाशुने कुछ सोचकर कहा, “साप का जहर मोहिनी के जिस्म में फैले उससे पहले हमे कुछ करना चाहिए।“
      “सुंधाशु, तुम आखिर क्या करने की सोच रहे हो?”
      “मैं मोहिनी के जिस्म से साप के जहर को चूसकर निकाल दूंगा। इससे मोहिनी की जान बच जाएगी।“
      “लेकिन ऐसा करने में तुम्हारे जान खतरे में आ जाएगी उसका क्या? मेरी बात मानो और मोहिनी को जल्दी से नजदीकी होस्पिटल में ले चलो.”
      सुंधाशु अपने रुमाल से मोहिनी के जख्म को बांधते हुए बोला, “नजदीकी होस्पिटल यहा से पचास किलोमिटर दूर है। इतनी देरतक मोहिनी की जान को मैं खतरे में नहीं रह सकता।“
      डायरेक्टर विक्रम कुछ कहने जा रहे थे तभी सुंधाशुने अपने मुंह को मोहिनी के जख्मो पर रख दिया। अब वह मोहिनी के जिस्म मे रहे साप के जहर को चूस चूस कर थूंकने लगा। डायरेक्टर विक्रम ताजुब्ब से सुंधाशु की और देखने लगे। थोड़ी देर बाद मोहिनी के जिस्म में हलचल हुई। वह आँखे खोलते हुए बुदबुदायाई, “सुंधाशु, कहा हो तुम?“
      यह सुनकर सुंधाशु मुस्कुरा उठा। वह कुछ कहने जा रहा था तभी उसके आँखों के सामने अँधेरा छा जाने से वह जमीन पर लुढक पड़ा। आँख बंध करने से पहले उसके कानो पर डायरेक्टर विक्रम की आवाज़ आई, “कोई जल्दी से वेटिनी वैन लेकर आओ...”
*****
      सुंधाशु की जब आंखे खुली तो उसने अपने आप को एक अस्पताल के कमरे में पाया। उसके सामने फिल्म की पूरी यूनिट खड़ी थी।
      “मोहिनी, कहा है?” सुंधाशु अपनी नजरो को आसपास खड़े लोगो की और फेरते हुए बोला। तभी हाथ में फूलो का गुलदस्ता लिए हुए मोहिनी आगे आते हुए बोली, “मैं यहा हु सुंधाशु।”
      सुंधाशुने गुलदस्ता लेने के लिए अपना हाथ आगे बढाते हुए कहा, “तुम्हे जिस साप ने काटा था वह तो ठीक है न?”
      मोहिनीने गुलदस्ते को सुधांशु की और फेंकते हुए कहा, “अगर एसा ही था तो फिर मुझे बचाया क्यों?”
      सुंधाशु चुपचाप मुस्कुराकर मोहिनी की और देखने लगा।
      कब से चुप डायरेक्टर विक्रम आगे आते हुए बोले, “सुंधाशु, यह बात तो हम सब के समझ के परे है की आखिर मोहिनी के लिए तुमने अपनी जान जोखिम में क्यों डाली?”
      “डायरेक्टर, आप हंमेशा कहते है न की जो दीखता है वह हंमेशा सच नहीं होता,” सुधांशु मोहिनी की और देखकर बोला, “तुम सही थी की मैं एक कमजोर एक्टर हूँ लेकिन कभी तुमने यह सोचा है की तुम्हारे साथ किये जानेवाले रोमांटिक सिन मैं क्यों एक ही टेक में कम्प्लीट कर देता हूँ? सभी को वह द्रश्य वास्तविक इस लिए लगते है क्योंकि मैं सच मे डायलोग के बहाने अपने दिल की बात तुम्हारे सामने रखता हूँ। लेकिन तुम हो की मेरी बात को कभी समजती ही नहीं.”
      मोहिनी चुपचाप खड़ी रहकर उसकी बातो को सून रही थी।
      “अब तुम कुछ बोलती क्यों नहीं?”
      “में क्या बोलू? सुंधाशु, सच कहू तो फिल्म के डायलोग के माध्यम से मैं भी तुम्हारे सामने अपने दिल की बात रखती थी। लेकिन तुमने भी मेरी बात को कब सीरियस लिया है?”
      “ओह! वह इसलिए की मुझे लगता था की तुम एक्टिंग कर रही थी!”
      “बस में भी तुम्हारे बारे में यही सोचकर चुप रह जाती थी!”
      “उफ़! मतलब हम एकदूसरे के दिल की तडप को महज एक एक्टिंग समझ रहे थे?”
      “अब मैं समझा की तुम क्यों मोहिनी के देर से आने के लिए क्यों परेशान होते थे। दरअसल तुम उसकी एक झलक देखने के लिए पागल हो जाते थे। डायरेक्टर विक्रम ने कुछ सोचकर आगे कहा, “तुम दोनों को तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है वह पता है? तुम दोनों फ़िल्मी और वास्तविक दुनिया को एक नजरिये से देख रहे हो। सच कहूँ तो तुमसे ज्यादा तो हमारे प्रेक्षक समझदार है की वेह तुम्हारी दिल की तडप को समझ पाए। इसलिए तो उन्होंने तुम्हे फिल्म इंडस्ट्री की सबसे मशहूर जोड़ी का ख़िताब दिया है। लेकिन अब फ़िल्मी पडदे से बहार निकलकर वास्तविक जीवन में तुम्हे एक आदर्श जोड़ी बनना है।“
      मोहिनी की और देखकर सुंधाशु ने कहा, “मैं तुमसे बेइंतिहा मुहब्बत करता हूँ। तुम्हारे बैगेर एक पल भी जिंदा रहना मुझे गवारा नहीं है। तू मेरी हर साँस में बसी है। मेरे दिल की धडकन में तु रहेती है। मेरे खून का हर एक कतरा बस यही कहेता है की, मोहिनी, आई लव यु...“ सुंधाशु बेड पर उठते हुए बोला, “मोहिनी, बस एकबार तुम कह दो की तुम मुझसे प्यार करती हो। बस एकबार मुझे आई लव यु कह दो... बस एकबार...”
      “सुंधाशु, आई लव यु... मैं तुम्हारे बिना एक पल भी रह नहीं सकती.” एसा बोलते हुए मोहिनी जाकर सुंधाशु से लिपट गई।
      यह देख डायरेक्टर विक्रम जोर से चिल्लाये “कट”
      लेकिन अब वेह दोनों एकदूसरे से कहा अलग होने वाले थे!
      सुंधाशु की बाहों में ख़ुशी से झूम रही थी उसकी सपनों की रानी।

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