मां की दुआएं
मां की दुआऐं
(मातृ दिवस पर मां को शत शत नमन एवं उनके श्री चरणों में समर्पित )
पैदा हुए जब माथे पर काली टीकी लगाया करती थी,
लाल को किसी की नजर ना लगे, माँ कई बार झाड़ा भी लगवाती थी ||
थोड़ा सा रोने पर माँ ममता की बौछार कर देती थी,
खुद भूखी सो जाती मगर बच्चों को सूखे तन से भी दूध पिलाती थी ||
बच्चों के लिए सपने देखा करती, अपना पेट काट बच्चों को पालती थी,
बच्चों की जिद के आगे हार जाती,बच्चों की हर जिद उसे पूरी करनी पड़ती थी ||
माँ बच्चों का जीवन सुखी बनाने में खुद का सब कुछ लगा देती थी,
बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी कर उनको कभी दुखी नहीं होने देती थी ||
आज बच्चें अपने पैरो पर खड़े होकर पैसे कमाने की होड़ में लगे हैं,
माँ जिसके त्याग के कारण आज उनकी शान शौकत हैं उसी को भूल जाते हैं ||
आलीशान मकान में छोटा सा कोना पलंग और फ़टे बिस्तर ही उसे नसीब है,
किसी को तो यह भी नसीब नहीं, कलेजे के टुकड़े मां को वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं।।
पहले कभी कभी मिलने जाते थे, अब तो मिलना दूर बरसों फोन भी नहीं करते,
बेटा चाहे कितना भी जुल्म कर ले, पर माँ तो दिल से हमेशा आशीष ही देती है ||
दुनिया में सिर्फ माँ ही होती हैं जिसका बच्चा चाहे लाख पराया हो जाए,
फिर भी आखिरी सांस तक दरवाजे पर टिकटिकी लगाए बच्चे का इन्तजार करती है ||
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