वारी पंढरीचु
लालित्य नक्षत्रवेल आयोजित
अभंग रचना---पंढरीची वारी
शिर्षक--- वारी विठोबाची
लागे वारी वेध | जेष्ठ महिन्यांत |
तय्यारी जोरात | सुरू होई---|१||
संतांच्या पालख्या | सजती सुंदर|
वाद्यांचा गजर | दुमदुमे||-----२
तिथी एकादशी| आषाढ महिना|
आनंद माईंना| भक्तमनी||---३||
तुळशीची माळ | शोभतसे गळा |
वारकरी भाळा | गंधटिळा --||४||
साधेसे कपडे| हाती झांज टाळ |
खांद्याला हो झोळ | धूतवस्त्रे ||५||
राम कृष्ण हरि | म्हणे वारकरी |
विठोबाची वारी| भाविकांची ||६||
अश्वाचे रिंगण| सुरेख सुंदर|
दृष्य मनोहर | नेत्रसुख ||----||७||
चंद्रभागे तिरी | वैष्णवांचा मेळा|
भक्तीचा सोहळा| रंगतसे ||-८||
विठू माऊलीचे| रुप मनोहर |
दाटे नेत्री पूर| आनंदाश्रु || --||९||
विठू दर्शनाने | धन्य होई जीव |
उमडती भाव | अनन्यता || १०||
येऊ या वारीला| पुढच्या वर्षाला|
भाव हा जागला| मनांतरी||--|११||
सौ.मंजिरी अनसिंगकर नागपूर.