रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

फिरौती

फिरौती

बिजली कड़की और चमकी। रात के साढ़े बारह बजे का समय था। काले बादलों ने समस्त आसमान को अपने आगोश में लपेट लिया था। बिजली चमकने से प्रकाश हुआ, बरसात जो अभी तक मध्यम थी, तेज हो गई।

बिजली की कड़क और चमक में एक मारुति इको वैन नदी के पुल के ठीक बीचों बीच रुकी।

बरसात की गति तीव्र थी। वैन में तीन आदमी चुपचाप बैठे थे। इशारों में उनके मध्य बातचीत हुई। एक आदमी ने वैन का दरवाजा खोला। बाकी दो आदमियों ने एक बोरा वैन से बाहर निकाला, पहले आदमी ने उनकी सहायता की। तीनों ने मिलकर बोरा नदी में फेंक दिया।

छपाक की आवाज हुई जो तीव्र बरसात और बिजली की कड़क आवाज के मध्य किसी को सुनाई नहीं दी। वैसे भी पुल के ऊपर उनके अतिरिक्त और कोई उस समय मौजूद नहीं था।

तेज तूफानी बरसात में सड़क और पुल सुनसान था। तभी एक वैगन-आर कार धीमी गति से वहाँ से गुजरी। वैगन-आर के ड्राइवर ने एक पल के लिए वैन की ओर देखा। उसने सोचा, शायद बरसात में वैन खराब हो गई होगी, किन्तु सुनसान तथा डरावना माहौल देखकर वैगन-आर नहीं रुकी।

उन तीन आदमियों ने वैगन-आर को गुजरते देखा, एक पल के लिए उनके दिल की धड़कन रुक सी गई। वैगन-आर को दूर जाते देख वे शीघ्रता के साथ इको वैन में बैठकर वापस मुड़ गए।

***

पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर विक्रम आहूजा अपने डेस्क पर बैठे फाइल देख रहे थे। तभी घबराई हालत में एक 50 वर्षीय व्यक्ति ने प्रवेश किया। हवलदार राजीव यादव ने उस व्यक्ति को रोक लिया, “क्या बात है जो पसीने से तरबतर हो?”

मेरे लड़के का अपहरण कर लिया। मैं बर्बाद हो जाऊँगा।“

शान्ति से पूरी बात बताओ।“ राजीव यादव ने उस व्यक्ति से कहा।

यह वीडियो देखो।“ उस व्यक्ति ने मोबाइल फोन पर एक वीडियो चलाया।“

वीडियो में एक लड़के के हाथ पैर बंधे थे, उसने सिर्फ इतना ही कहा, “पापा मुझे बचा लो।“

हवलदार राजीव यादव स्वयं उस व्यक्ति से बात कर रहा था। अपहरण  सुनते ही इंस्पेक्टर विक्रम आहूजा के कान खड़े हो गए। वो स्वयं अपने डेस्क से उठकर उस व्यक्ति के पास गए।

विक्रम नाम है मेरा! इंस्पेक्टर विक्रम आहूजा। पूरी बात बताइए।“

उस व्यक्ति ने बताया, “मेरा नाम सुनील दहिया है। मेरा लड़का अमन दहिया पच्चीस वर्ष का है। वह आईटी कम्पनी में नौकरी करता है। कल सुबह वो ऑफिस जाने के लिए घर से निकला। अक्सर रात को देर से घर वापस आता है। कल शाम को उसका फोन आया, वो अपने मित्र के संग कुछ समय बिताएगा, इसलिए घर लौटने में देर हो जाएगी। रात के बारह बजे उसके मोबाइल से फोन आया लेकिन बात किसी और ने की। वो कहने लगा, तुम्हारा लड़का हमारे कब्जे में है। उसको सही सलामत देखना चाहते हो तो एक करोड़ रुपए का प्रबन्ध कर लो। कहाँ रुपए लेंगे, बाद में बताएँगे। अभी वीडियो देख लो। अब मोबाइल बन्द है। हमें चिन्ता हो रही है।“ सुनील दहिया फूट-फूट कर रोने लगा, उसे अपने पुत्र की सुरक्षा की चिन्ता होने लगी।

विक्रम नाम है मेरा! इंस्पेक्टर विक्रम आहूजा। आप अमन के मित्रों के फोन नम्बर दीजिए। एड्रेस मालूम हो तो बताइए।“

सुनील दहिया ने अमन के स्कूल के दिन से दो मित्रों के नम्बर और एड्रेस बताए। ऑफिस के मित्रों का उन्हें कोई ज्ञान नहीं था।

विक्रम आहूजा ने सुनील दहिया को घर वापस भेज दिया।

राजीव तुम अमन और उसके मित्रों के फोन को ट्रेस करो। लोकेशन और कॉल डिटेल्स निकलवा कर अति शीघ्र मुझे दो। जो दो एड्रेस दिए हैं, उन पर नजर रक्खो।“

***

राजीव यादव स्वयं समस्त जानकारी जुटाने में जुट गया। सुनील दहिया को कोई फोन नहीं आया। वे स्वयं भी उसके दो मित्रों के घर गए, लेकिन उनके घर बन्द मिले। अमन तथा उसके दोनों मित्रों की अन्तिम लोकेशन प्राप्त हुई किन्तु कोई भी अपने लोकेशन पर नहीं मिला। फोन उनके बन्द मिले। अब उनकी कॉल डिटेल्स खंगाली।

जिस दिन अमन का अपहरण हुआ, उसने किससे बात की, उससे पहले दो-तीन दिन किससे बात की। विक्रम आहूजा ने अगला दिन उनसे मिलना तय किया।

***

रात को डिनर के पश्चात विक्रम बिस्तर पर लेटा विचारों में गुम था।

किस गहरी सोच में डूबे हुए हो विक्की? पत्नी वन्दना ने पूछा।

विक्रम ने अमन के अपहरण की घटना बताई। वन्दना ने कुछ सोच कर विक्रम को बरसात वाली घटना याद दिलाई, “विक्की, हम मम्मी के घर से रात को वापस आ रहे थे। तूफानी बरसात थी, सुनसान नदी का पुल था, वहाँ एक वैन खड़ी थी। आपने कार रोककर पहले वैन का रुकने पर पूछताछ करने की सोची थी, किन्तु तेज तूफानी बरसात में मैंने रुकने के लिए मना किया था। तुमने पहले कार की गति धीमी की, फिर गति बढ़ा कर आगे बढ़ गए थे।“

विक्रम के दिमाग की बत्ती जली। अमन का अपहरण उसी दिन हुआ था, फिर फिरौती का दुबारा फोन नहीं आया। उसका मस्तिष्क अपहरण के गुणा भाग करने लगा। पाँच मिनट पश्चात हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर छा गई। उसके पश्चात उसे चैन की नींद आई।

***

अगली सुबह उसने राजीव यादव को अपने घर बुलाया और नदी के पुल की ओर चल दिए।

राजीव, अभी नदी का जलस्तर बहुत ऊपर नहीं है। इस पुल के एक किलोमीटर आगे बेराज है। वो तब खुलता है जब नदी का जलस्तर अधिक ऊपर होता है। मेरे मन में हलचल हो रही है। उस वीडियो के पश्चात फिरौती की दुबारा कोई माँग नहीं आई। मुझे खटका लग रहा है, कहीं कोई अनहोनी न हुई हो, क्योंकि मैंने बरसात की रात एक मारुति इको वैन खड़ी देखी थी। तुम गोताखोरों की सहायता से खोज करो तब तक अमन की मित्र मण्डली की खोज खबर लेते हैं।“

राजीव यादव को ड्यूटी सौंपकर विक्रम अमन के ऑफिस पहुँचे। ऑफिस का कोई भी सहपाठी अमन के संग उस दिन साथ नहीं था। सभी ऑफिस में उपस्थित थे। सभी का व्यवहार सामान्य प्रतीत हुआ। अमन का व्यवहार ऑफिस में शान्ति प्रिय था। सभी को उसके अपहरण पर हैरत थी।

ऑफिस से बाहर निकलकर विक्रम आहूजा अमन के घर गए। घर पर लगभग मातम का दृश्य था। विक्रम के घर से उन्हें मालूम हुआ, अमन के दो मित्र जो उसके साथ स्कूल में पढ़ते थे, अत्यन्त घनिष्ठ थे, उनके भी फोन बन्द थे।

विक्रम को आश्चर्य हुआ, अमन के लंगोटिया यारों के फोन बन्द हैं। एक मित्र का नाम राकेश मीणा था, जो अब वकील बन चुका है और कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहा है। दूसरा मित्र तन्मय मीणा है जो प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता हैं।

दोनों मीणा हैं, कोई रिश्ता तो नहीं?” विक्रम को कौतूहल हुआ।

दोनों चचेरे भाई हैं।“ सुनील दहिया ने बताया।

विक्रम बताए एड्रेस पर गया किन्तु राकेश और तन्मय के घर और ऑफिस बन्द मिले। शक की सुई दोनों पर घूम गई।

***

विक्रम ऑफिस में फोन की कॉल डिटेल्स को खंगाल रहा था। अमन की राकेश और तन्मय से अधिक बातें हुई थीं।

तभी उसका मोबाइल बजा। राजीव यादव का फोन था।

बोलो राजीव, क्या खबर?”

राजीव की जानकारी सुनकर विक्रम चौंक गया। नदी में पुल से थोड़ी दूर एक बोरे में नवयुवक की लाश मिली। गोताखोरों की सहायता से बोरा निकाला गया।

विक्रम ने सुनील दहिया को शिनाख्त के लिए बुलाया और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

अमन के परिवार का बुरा हाल था। उन्होंने लाश की शिनाख्त कर दी। अमन की मृत्यु पर मातम छा गया।

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ गई। दम घुटने से मृत्यु हुई है।

विक्रम आहूजा राजीव यादव के संग पोस्टमार्टम की रिपोर्ट देख रहा था।

राजीव अमन की लाश बोरे में मिली। उसके मुँह पर टेप लगी थी। हाथ पैर रस्सी से बंधे थे। बोरे में दो बीस-बीस किलो के बाट बंधे थे।

राजीव सबसे महत्वपूर्ण बात है ये बीस-बीस किलो के दो बाट, जिनके कारण बोरा ऊपर की ओर नहीं आया और नदी के बहाव में अधिक दूर भी नहीं गया। यदि लाश को बिना बाट वाले बोरे के फेंकी जाती तब शर्तिया लाश नदी के ऊपर आती या बेराज तक अवश्य जाती। तुम बाट बेचने वालों से सम्पर्क करो। कोई सुराग अवश्य मिलेगा। अच्छा तुम रहने दो, मैं किसी और की ड्यूटी लगाता हूँ।“

विक्रम ने सदी वर्दी में राकेश और तन्मय मीणा के घर तथा ऑफिस के बाहर तैनात कर दिए।

विक्रम सोच रहा था, ‘राकेश मीणा वकील है, उसे कोर्ट में पकड़ा जा सकता है।‘ उसने अमन के पिता सुनील दहिया से राकेश और तन्मय मीणा की फोटो ली।

***

कोर्ट में बार एसोसिएशन के ऑफिस से राकेश मीणा की वकील होने की पुष्टि हो गई। कुछ साथी वकीलों ने बताया, वह कोर्ट आया है। उसका केस कहाँ किस कोर्ट में लगा है, यह उनको नहीं मालूम था।

विक्रम आहूजा ने कोर्ट के गेट पर सिक्योरिटी से बात की, कोर्ट से बाहर एक-एक करके जाने दे। उसको वकील राकेश मीणा से बात करनी है।

विक्रम को दो घंटे प्रतीक्षा करनी पड़ी। फिर राकेश मीणा एक बाइक से कोर्ट से बाहर निकलने वाले गेट पर आया। विक्रम ने फोटो से उसे पहचान लिया और उसकी बाइक के आगे खड़ा होकर उसका रास्ता रोका।

मिस्टर राकेश मीणा, आप मेरे संग जीप में चलिए, आपकी बाइक मेरा हवलदार ले आएगा।“

राकेश बात को भाँप गया, पुलिस स्टेशन किस कारण लेकर जाया जा रहा है। उसने वकीली तेवर दिखाए, “आप बिना कारण मुझे पुलिस स्टेशन नहीं ले जा सकते हैं।“

पुलिस और वकील की बहस में कुछ और वकील कूद पड़ेपुलिस हाय- हाय के नारे वकीलों ने लगा दिए।

विक्रम नाम है मेरा! इंस्पेक्टर विक्रम आहूजा। अमन दहिया की लाश मिल गई है। उसी सिलसिले में पूछताछ करनी है। तुम्हारे वकीलों वाले तेवर मेरे सामने नहीं चलने वाले।“ विक्रम ने राकेश मीणा को जाने दिया और राजीव यादव को इशारा कर दिया, जो पुलिस वर्दी में नहीं था। जैसे ही राकेश मीणा कोर्ट से बाहर निकला, राजीव यादव ने अपनी बाइक उसके पीछे लगा दी। अपनी लाइव पोजीशन विक्रम को दे रहा था।

राकेश दहिया ने एक मकान के आगे अपनी बाइक रोकी। वह झट से मकान के भीतर गया। दरवाजा बन्द हो गया।

विक्रम ने राजीव यादव को पुलिस स्टेशन वापस लौटने को कहा और एक अन्य कांस्टेबल की वहाँ ड्यूटी लगा दी।

पुलिस स्टेशन पर विक्रम और राजीव बात कर रहे थे, तभी कांस्टेबल रमेश बाट बेचने वाले को पकड़कर ले आया।

तुम तो पूरा पहाड़ ले आए, मैंने तो सिर्फ संजीवनी बूटी लाने को बोला था।“

सर जी, इसका स्टेटमेंट रिकॉर्ड करो। सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग भी ले आया हूँ जिसने बीस-बीस किलो के दो बाट खरीदे हैं।“

विक्रम ने फुटेज देखी, वहाँ बाट खरीदते कोई तीसरा आदमी नजर आया। तुरन्त दुकानदार की स्टेटमेंट रिकॉर्ड की।

दुकानदार को वापस भेजने के तुरन्त बाद विक्रम राजीव यादव और रमेश के साथ उस मकान पर गए, जहां राकेश मीणा कोर्ट के बाद गया था। वहाँ तैनात कांस्टेबल भी नहीं था। विक्रम ने उसे फोन किया, वह उन दोनों का पीछा कर रहा था।

विक्रम ने फुटेज से बाट लेने वाले की फोटो निकाल ली थी। पड़ोसियों ने बताया, यह वहीं रहता है। इसका नाम महेन्द्र मीणा है।

विक्रम के होंठों पर मुस्कान छा गई। सारे रिश्तेदार हैं।

***

मौसम ने करवट बदली। आसमान में काले बादल छा गए। बूंदाबांदी आरम्भ हो गई।

राकेश मीणा का पीछा करने वाले कांस्टेबल ने विक्रम को फोन किया, वो लोग रेलवे स्टेशन पहुँच गए हैं।

विक्रम ने तुरन्त रेलवे स्टेशन की जीप घुमाई। बरसात मध्यम गति से लगातार होने लगी।

रेलवे स्टेशन पर राकेश और महेन्द्र के साथ तन्मय भी नजर आ गया। उन्होंने टीसी से सम्पर्क किया। सेकंड एसी में कुछ बर्थ खाली थीं। वो तीनों साधारण टिकट पर ट्रेन में चढ़ गए। टीसी ने ट्रेन में उनकी सेकंड एसी की टिकट काट कर कॉन्फर्म कर दी।

जैसे ही ट्रेन की सीटी बजी। विक्रम अपने दल के साथ ट्रेन में चढ़ा। ट्रेन चल पड़ी। धीरे-धीरे चलते ट्रेन ने प्लेटफॉर्म छोड़ा। बरसात की गति भी बढ़ने लगी।

विक्रम ने राकेश, तन्मय और महेन्द्र को घेर लिया।

विक्रम नाम है मेरा! इंस्पेक्टर विक्रम आहूजा। अब आप घिर चुके हो। ओहो बाट खरीदने वाले महाशय भी मौजूद हैं। इन बीस-बीस किलो के बाटों ने आपके ऊपर शिकंजा कस दिया है। बाटों की मार्किंग और सीसीटीवी की फुटेज मिस्टर महेन्द्र को अपराधी साबित करती है। आप अपना अपराध स्वीकार करें और पूरे घटनाक्रम को विस्तार से अपनी जुबानी कहें। वैसे आप सब अंडर अरेस्ट हैं।“

मीणा बंधुओं के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने अपराध स्वीकार किया। वकील राकेश मीणा ने कुछ यूँ खुलासा किया।

मैं और अमन दहिया स्कूल के दिनों से मित्र थे। एक ही क्लास में पढ़ते थे। तन्मय हमारे से एक क्लास पीछे पढ़ता था। हमारी यारी लंगोटिया थी। अमन की अच्छी नौकरी आईटी कम्पनी में लग गई। मेरी वकालत जम नहीं रही थी। अमन के परिवार की पुश्तैनी जमीन गाँव में थी, जो उन्होंने कुछ समय पूर्व बेची थी। अमन के पिता सुनील दहिया चार भाई हैं। कुल चार करोड़ रुपए में जमीन बिकी। सुनील दहिया के हिस्से एक करोड़ रुपए आए। मुझे इस बात का इल्म था, अमन ने स्वयं मुझे बताया था। तन्मय का प्रॉपर्टी बिजनेस भी नहीं चल रहा था। हमने मिलकर अमन का अपहरण करके एक करोड़ रुपए की फिरौती की योजना बनाई। मैंने अमन को रात के डिनर पर बुलाया। उसे कोई शक नहीं हुआ, हम अक्सर डिनर एक साथ करते थे। जब अमन मेरे घर आया, हमने उसके हाथ पैर बांध दिए और मुँह पर टेप लगाकर उसी के मोबाइल से वीडियो बनाया और उसके पिता से फिरौती माँगी, किन्तु हमने अमन का मुँह और नाक कस कर बांधे थे, जिससे उसका दम घुट गया और अमन मर गया। हमारे हाथ पैर फूल गए। हमने उसको एक बोरे में बन्द कर दिया। लाश को नदी में फेंकने की योजना बनाई। महेन्द्र बाट खरीद कर लाया जो हमने बोरे में बांध दिए ताकि लाश उपर नहीं आए।“

वही बाट तुम्हारे गले का फंदा बन गए। तुम वकील जरूर हो किन्तु हर अपराधी की भाँति एक सुराग छोड़ गए। अपराधी कितना भी शातिर हो, एक सुराग अवश्य छूटता है। उस दिन भी तेज बरसात थी, चांस की बात है, मैं उसी पुल से गुजरा था, जब तुम लाश वाला बोरा नदी में फेंक रहे थे। उस समय बच गए किन्तु आज हिरासत में हो। देखो आज भी तेज बरसात है।“

रेलवे पुलिस को विक्रम ने बुला लिया। अगले स्टेशन पर सब उतरे। मीणा बंधुओं को हवालात भेज दिया।

विक्रम आहूजा ने जब वापस लौट कर पूरी घटना पत्नी वन्दना को बताई तब भी तेज बरसात हो रही थी। रह-रह कर बिजली चमक रही थी। वन्दना गर्मा गर्म पनीर, आलू, गोभी और पालक के पकोड़े तल रही थी।

-       समाप्त -

 

 

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु