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बरसात की एक रात

मै विंडो के पास बैठ कर बाहर होती बरसात को देखते देखते अतीत की एक बरसात की रात में न जाने कब कैसे खो गया। हां उस रात भी आज रात की तरह से भारी बारिश हो रही थी, मैं इसी प्रकार यहीं विंडो के पास बैठ कर सिगरेट पी रहा था। लाईट जाने के कारण रात और भी भयावह हो गई थी। मैं अपने बिछड़े हुए प्यार को भी याद कर रहा था। तभी मुझे चाय की तलब लगी, लेकीन रूम में लाईट न होने से मैं मजबूर हो गया, रूम में इनवर्टर भी नहीं था। भारी बारिश के बीच बीच में आसमान की बिजली चमक उठती। सड़क पर भी पूरी तरह से अंधेरे का साम्राज्य था और होगा भी क्यों नहीं रात के बारह बज रहे थे। याद आ रहा है वो सब। अंगुलियों के बीच फंसी हुई सिगरेट की आंच जब अंगुली में लगी, तब मालूम हुआ कि सिगरेट खत्म हो चुकी हैं, मैने दूसरी सिगरेट सुलगाई, दूसरी क्या याद नही कि दूसरी थी या पांचवीं, छटी सिगरेट थी, अनुपमा की याद में सिगरेट पर सिगरेट पीता रहा था, नई सिगरेट सुलगाने के साथ ही मेरी नजर बाहर सड़क पर, आसमानी बिजली की चमक में मुझे कोई साया सा लगा जैसे कोई बिजली के पोल के पास खड़ा है। रात के बारह बजे कौन हो सकता है, थोड़ी उत्सुकता मन में जगी, लेकीन इतनी भारी बारिश में मै बाहर कैसे,,,. लेकीन दिल थोड़ा बैचेन और परेशान सा हो गया। आखिर हिम्मत करके मैं उठ कर रूम का गेट खोल कर बाहर निकल कर गली में लगे पोल के पास गया।
,, कौन,""""! मैने हिम्मत करके पूछा। लेकीन पोल के पास खड़े साए ने कोई जवाब नहीं दिया और साया पीछे की ओर चलने लगा। मेरे मन की उत्सुकता बढ़ गई। मैं खुद को भारी बारिश के कारण असहज महसूस करने लगा, लेकीन न जाने क्यों मैने आगे बढ़ कर पुन: उससे कहा,__आप कौन है और इतनी बारिश में, आधी रात में यहां,,।
""मै,, मैं,,,।, आवाज सुनते ही मैं हैरान हो गया क्योंकि आवाज जानी पहचानी सी लगी। तभी मैंने,,, अनु तुम,,। यह सुनते ही वह साया मैं जान चुका कि कोई लड़की है जिसकी आवाज मुझे अनुपमा जैसी लगी दूसरी ओर तेजी से चलने लगी।
,, ठहर जाओ अनु,,। मैने थोड़ी तेज आवाज में कहा।
लेकीन वह जैसे रुकने के लिए तैयार नहीं। मैं बारिश के पानी में पूरी तरह भीग चुका था, फिर भी मैंने तेजी से आगे बढ़ कर उसका रास्ता रोक लिया।
,,, आगे से हट जाओ रोहित,,।
उसकी आवाज और उसके मुंह से अपना नाम सुन कर मैं स्तब्ध रह गया। अनुपमा इस टाईम यहां
,, अनु तुम इस टाईम और ऐसी बारिश में,, तुम ठीक तो हो और तुम्हारा पति ,,। पूछते पूछते मुझे याद आया कि यहां बारिश में खड़े होकर बात करना ठीक नहीं है।
,, अनु यहां पास मे ही मेरा रूम है, क्या तुम वहां चल सकती हो, यहां बारिश में खड़े रहना तुम्हे बीमार कर सकता है,,।
अनुपमा सहज ही रूम पर चलने के लिए तैयार हो गई। हम दोनों रूम के अंदर आ गए।,,
,, अनु अगर उचित समझो तो कपड़े चेंज कर लो, लेकीन मेरे पास लेडीज सूट नही हैअनु ने यह सुन कर मेरी तरफ आश्चर्य भरी नजरों से देखा ।
,, क्या आपने शादी,,। अनु ने आधे अधूरे शब्दों में पूरी बात पूछ ली।
,, आप यह कंबल ओढ़ लो,,। अनु के प्रश्न का जवाब न दे कर मैने एक कंबल अनु को दिया, लेकीन जब कंबल देते वक्त अनु के हाथ से मेरा हाथ टच हुआ तो
,, अनु तुम्हे तो बहुत तेज बुखार है,,।
,,, हां कई दिन से है,,।
,, फिर तुम इतनी बारिश में और आधी रात में,,।
,, रोहित मेरे पास कल सुबह तक का वक्त नहीं और तुमसे मिलना भी जरूरी था,,।
,, लेकीन तुम्हें कैसे कि मैं यहां,,। मैं अपनी बात को शब्दों में नही कह सका
,, रोहित यह सब बातें छोड़ो, मैं केवल एक बात कहना चाहती हूं, और वो भी सच कहना चाहती हूं,,। कहते कहते अनु एक चेयर पर बैठ गई।,,
,, अनु बात बाद में भी हो सकती हैं, तुम्हे वास्तव में बहुत तेज बुखार है,,।
,, बुखार की बात बाद में, रोहित मैं पहले तुम्हे प्यार नही करती थी, लेकीन मेरी भाभी ने न जाने मेरे पति प्रकाश से क्या कहा, वो तुम्हारा नाम ले कर मुझे प्रताड़ित करने लगे, मैने अपने पति के व्यवहार में और तुम्हारे व्यवहार में कंपेरेजन किया तो तुम्हारा व्यवहार अच्छा लगा, मैने कोलिज टाईम में तुमसे टाईम पास प्यार किया था, मैं नही जानती थी कि प्यार क्या होता है, हां शादी के बाद मैं तुम्हें नही भुला सकी, रोहित अगर हो सके तो मुझे माफ करना,,। कहते कहते अनु की श्वांस फूल गई।
,, अनु यह सब बातें बाद में भी हो सकती है, पहले मैं तुम्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना चाहता हूं,,।
,, कोई फायदा नहीं, रोहित मुझे ब्लड कैंसर है और मैं कुछ ही पलों की मेहमान हूं ,,।
,, अनु तुमने भले ही मेरे साथ टाईम पास प्यार किया हो लेकीन मै आज भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूं,,। मैं कहते कहते विंडो के पास आ गया और बाहर होती बरसात को देखने लगा।
,, अनु तुम मेरे दिल में ही नहीं मेरे रोम रोम में बस गई हो। तभी आसमानी बिजली चमकी, मैने वापस अनु की ओर देखा तो पाया कि अनु चेयर की पीठ पर शांत। मैं तेजी से अनु के पास आया,
,, अनु,,,। और मेरी चीख आसमानी बिजली की गड़गड़ाहट में कहीं खो गई।
आज फिर वही अंधेरी रात और भारी बारिश। मैने आंखे बन्द कर के अपना सिर पीछे लगा लिया, कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि मैं आसमान में उड़ रहा हूं और सामने आसमान में ही खड़ी अनु अपने दोनों हाथों को फैला कर मुझे अपने पास बुला रही है।।।।

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