चलो चलें बारात में.…..
बाजार से खरीदारी करते समय लौट ही रहे थे। की सामने देखा चमचमाती हुई बारात चली जा रही थी।
जिमी, जिमी,जिमी,,,,
आजा, आजा, आजा,,,,
जिमी ,जिमी,जिमी, ,,,,,,
आजा ,आजा आजा,,,,,,
आजा रे मेरे साथ ये जागी जागी रात। "
इस गाने पर डांस करते हुए, कुछ लड़के और लड़कियां। अपने आप को किसी पिक्चर के सुपरस्टार ही समझ रहे थे। रास्ता ज्यादा चौड़ा नहीं था । और यह रास्ता सीधे हमारे घर की ओर ही जा रहा था। इसलिए बारात के पीछे-पीछे चलना मजबूरी हो गया था ।
अब जब तक उनका डांस खत्म नहीं हो जाता ।
वह आगे बढ़ेंगे नहीं ।और जब डांस में कोई जोश से नाचना शुरू कर देता है। तो बैंड बाजे वाले भी अपनी जान लगा देते हैं उसे नाचने के लिए। फिर दो कदम बारात आगे बड़ी ही थी ।तो दूल्हे के किसी खास रिश्तेदार ने 100-100 के नोट का पंखा बनाकर जो न्योछावर शुरू कर दिया । तो पीपी वाला अपने सर के ऊपर पीपी को रखकर किसी सर्कस के जोकर की तरह, जो रस्सी पर बड़े ही संभल- संभल कर चलता है ।उसी तरह से उनके पास नोट लेने के लिए आने लगा ।
पर अभी नोट देने का उनका मन नहीं था ।इसलिए वह उसे और कलाबाजियां करने को मजबूर कर रहे थे। तो वह एक हाथ से पीपी को घूमता हुआ और एक हाथ से अपनी टोपी को उछलकर सर पर बैठा कर करतब करता हुआ उनके पास फिर आ गया, उन नोटों को लेने के लिए। पर अभी भी उनका मन नहीं हुआ तो पीपी वाला सर के ऊपर पीपी को रखकर और जोश से नाचने लगा फिर उन्होंने उन पांच नोटों में से दो नॉट उसे दे दिए और दूसरे नोटों को वह ढोल वाले की तरफ ले गए अब उनका मन उस ढोल वाले से कुछ करतब कराने का था।
तो ढोल वाला जोर-जोर से ढोल पीटने लगा और फिर उसने गाना बदल दिया ।
"ये देश है वीर जवानों का अलबेलो का मस्तानों का,,,,,"
तो उनके रिश्तेदारों को मजा आ गया और जोश में उन्होंने बाकी के तीन नोट ढोल वाले पर निछावर करके उसी के मुंह में ढूंस दिए।
बड़े -बडे झुनझुनेवाला अपनी ही मस्ती में उसे बजा रहा था। और बड़े से भोंपू वाले ने कान के पर्दे फाड़ने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी।
फिर मुझे याद आया कि, अरे हां! देव उठान जो है आज!
और कहा जाता है कि, देव उठान पर मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है इस दिन कोई भी शादी करे तो बहुत ही शुभ माना जाता है।
हम भी बारात के पीछे-पीछे आगे बढ़ रहे थे बारात अनजान लोगों की थी इसलिए रुकने का प्रश्न तो उठाता नहीं है ।पर बारात में कभी कबार कुछ चीज आपको आकर्षित करती हैं। उसे देखने के लिए।
बारात होती ही कुछ ऐसी है ।चाहे किसी की भी हो, सड़क पर से जब बारात निकलती है तो छज्जे पर सभी देखने के लिए बाहर आ ही जाते हैं।
क्योंकि हम अपनी कार में बैठे हुए थे इसलिए धीरे-धीरे ही आगे बढ़ पा रहे थे ।मौका त्योहारों का था। और आज से तो शादियों की शुरुआत हो रही थी ।तो वैसे ही इस बारात ने पूरे रास्ते पर अपना कब्जा जो कर रखा था।
कुछ दूसरी तरफ औरतें अपना झुंड बनाकर नाच रही थी उनकी खुशी के लिए बैंड बाजे वाले ने "पल्लो लटके गाना बजाना शुरू कर दिया"! वैसे एक बात बताऊं ये जो बैंड बाजे वाले माइक पकड़ कर कुछ अपने अलग अंदाज में ही प्रस्तुति दे रहे होते हैं उसमें उनके एक बड़े सिंगर् बनने की लालसा प्रकट हो रही होती है।
हम गाड़ी का हॉर्न दिए जा रहे थे ।पर उन्हें तो अपने डांस से फुर्सत नहीं मिल रही थी ।जैसे -तैसे थोड़ा सा साइड से हमनें हमारी कार कुछ आगे निकली, तो बारात में उस दूल्हे को देखने की इच्छा हुई कि आखिर यह बारात है किसकी? ????
चमचमाते हुए घोड़े पर ,चमचमाती हुई छतरी के नीचे, भंवर काला एक दूल्हा बैठा था ।सुनहरी शेरवानी पहने हुए और चमकीला सा स्टीकर वाला तिलक लगा हुआ था जो उसके चेहरे पर अलग ही चमक रहा था । उसके गले में नोटों की बड़ी सी माला उसे एक अलग ही रूप प्रदान कर रही थी आखिर यह रिवाज किसने शुरू किया होगा ????उसे देखकर सोचने पर मैं भी मजबूर हो रही थी।
मुंह में उसके दोस्तों या जीजाओं ने भर -भर के पान ठूंस रखे थे। जिससे उसका मुंह खुल भी नहीं पा रहा था और बस वह चबा-चबा के पान का मजा ले रहा था और अपनी बारात में नाचते हुए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
२०२३ ,२३ नवम्बर की इस बारात की छोटी सी झांकी में 70- 80 के दशक के वही प्रचलित गाने आज भी उतनी ही जान फूंक रहे थे जितनी शायद उस समय यह गाने खुशी भर देते होंगे????
आखिर बारात का मजा इन गानों के बिना अधूरा सा ही लगता है। यह गाने शायद बने ही थे किसी की बारात में खुशी का माहौल दुगना -चौगुना करने के लिए। इसलिए इतने साल गुजर जाने के बाद भी कुछ गाने ऐसे हैं ।जो आज भी बारात में जब बजते हैं। लोग उन पर नाचने वालों को देखने को मजबूर हो जाते हैं।
शादी वाले सीजन की शुरुआत की सभी को शुभकामनाएं ।
देव उठान पर विशेष।
पढ़ने के लिए धन्यवाद।