दीप जले
अलका पुणतांबेकर। वडोदरा गुजरात
दीप जले
अंधियारे को दूर भागते, जगमग जगमग दीप जले।
डिगना नहीं ,डेट ही रहना जब तक रात ढले ।।
निर्मल मन के साथी हैं दीप , दुर्भावना से दूर रहें।
प्रेम-भाव लेकर बढता चल तू, फिर तिमिर राह को ना ढके ।।
राह में उजियारे फैलें तो, ज्योतिर्मय संसार बने।
विपत्ति के अंधियारे हटाने ,ताकत तुझे मिलती रहे ।।१।।
अंधियारे को दूर भागते जगमग जगमग दीप जले
किसी का बुरा ना सोचें, सबका भला तू जो करे।
तेरी भलाई करने , ईश्वर तेरे साथ निरंतर रहे।।
हाथ में दीप ले चलेगा ईश ,करेगा अंधियारे दूर तेरे ।
दुगनी ताकत से तू फिर , उजियारे पथ पर बढ़ता रहे।।२।।
अंधियारे को दूर भागते जगमग जगमग दीप जले
जब तक निर्मल मन से तू भला सबका करता रहे ।
यही ज्योति की ताकत तेरे, दीप कभी बुझने ना दे।।
कभी राह में तुझे मिले , हिम्मत हारे बुझते दीये ।
उसकी लौ ऊंची करने तू संदेश अपने कर्मों से दे ।।३।
अंधियारा को दूर भागते जगमग जगमग दीप जले
यही मंत्र इस दुनिया का हरदम तुझे याद रहे।
सत्चारित्र,सच्चाई ,ईमानदारी के दीप कभी ना बुझे।।
अंधियारे को दूर भागते. जगमग जगमग दीप जले।
डिगना नहीं , डटे ही रहना जब तक रात ढले।।४।।
अलका पुणतांबेकर