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करवा चौथ

   

करवा चौथ पर पत्नी केलिए पती की और से प्यारके बोल।

 

  *करवा चौथ*

  धवल चांदनी, संग चौथ का चांद।????

 याद आती है संगिनी,

 तेरे मेरे मिलन की रात।

 

   चांद तोआसमान में है एक ,

मेरे इस चांद की तो छटाएं हैं अनेक।????

 

सोलह कलाएं बिखेरेगा आकाश में आज चांद

सोलह श्रृंगार में सजा है धरती पर मेरा चांद।????

 

चांद की उतारी आरती हाथों में लिए दीपक,

देखा छलनी से उसे, फिर देखा मुझे अपलक।????

 

अर्घ्य देकर चांद को, हाथों मेरे जल  करो ग्रहण,

वादा करते है अगले जनम मे भी करेंगे  एक-दूसरे का वरण।

 

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लेखन--सौ.प्रतिभा परांजपे

 

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