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किस्से कहानी...

किस्से कहानी हर कदम इक मोड़ लेते हैं,

इससे यहाँ, उससे वहाँ, कुछ जोड़ लेते हैं,


थकते नहीं, चलते रहे, नित-नित नई मंजिल,

मिलते रहे, बिछड़े कभी, फिर चल पड़े हिल-मिल,


तपती दुपहरी सा कभी, दुख धूप सा आया,

क्षण एक फिर सुख लौट कर देता सुखद छाया,


इक आ रहा, इक जा रहा, पारी निभाते ज्यों,

जैसे यहाँ आकर सभी महफ़िल सजाते हों,


किंचित कभी इक साथ आकर  होड़ लेते हैं,

किस्से, कहानी हर कदम इक मोड़ लेते हैं,

इससे यहाँ, उससे वहाँ, कुछ जोड़ लेते हैं।



---सूरज शुक्ला

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