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एक यादगार सफर

शाॅपिज़न ट्रेन कथा प्रतियोगिता


एक यादगार सफर


      दिसंबर माह के पहले हफ्ते की वह सुबह थी। सुबह के साडेदस बजे थे। ध्रुव रायपूर रेलवे स्टेशन पर खड़ा था। कंप्यूटर इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में पढ़नेवाला ध्रुव हावड़ा - पुणे आजाद हिंद एक्सप्रेस की प्रतीक्षा में था। उसके पहले सत्र की पढ़ाई और परीक्षा समाप्त हो चुकी थी और उसे तीन हफ्ते की छुट्टियाँ थी। इसलिए वह अपने घर जा रहा था। रेलवे स्टेशन पर काफी भीड़ थी। तरह-तरह की आवाजें मिश्रित होकर भीड़ की अपनी आवाज तैयार हो गई थी। पहले वर्ग का आरक्षण न मिलने से ध्रुव इस बार पुणे तक दूसरे वर्ग से सफर करनेवाला था। उतने में आजाद हिंद एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर रायपूर आने की सूचना प्राप्त हुई। ध्रुव ने घड़ी पर नजर डाली। ट्रेन आने के लिए दस मिनट बाकी थे। दूसरे वर्ग का एस - २ डिब्बा प्लेटफार्म पर जहाँ खड़ा होनेवाला था उस तरफ ध्रुव अपना सामान उठाकर जाने लगा। थोड़ी ही देर में आजाद हिंद एक्सप्रेस रायपूर स्टेशन पर आकर खड़ी हो गई। ध्रुव ने अपना बैग उठाया और उसने एस - २ डिब्बे में प्रवेश किया। अपना सीट नंबर ढूँढते ढूँढते वह आखिर अपनी जगह पर आ गया। खिड़की के पासवाली अपनी जगह पर उसने बैकपैक रखा और अपना बैग वह सीट के नीचे रखनेवालाही था तो उसे वहाँ पोटैटो चिप्स के खाली पैकेट फेंके हुए नजर आए। ध्रुव ने फेंके हुए रैपर्स उठाए और अपने बैकपैक से एक कागज की थैली निकालकर उस में रैपर्स डाल दिए और फिर से अपने बैकपैक में वह थैली रख दी। अपना बैग उसने सीट के नीचे रखा और वह आसनस्थ हो गया। 

      उसने सामने देखा तो पाठशाला में पढ़नेवाले दो लड़के अपनी माँ के साथ बैठे थे।  माँ मोबाइल पर वीडियो देखने में व्यस्त थी। दोनों लड़के पोटैटो चिप्स का मजा ले रहे थे। उतने में ट्रेन अपने निर्धारित समय पर चलने की सूचना प्राप्त हुई और ट्रेन पटरी पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी। रायपूर स्टेशन पीछे पड़ गया और ट्रेन तेजी के साथ दौड़ने लगी। दस मिनट बाद ध्रुव ने अपना लैपटॉप बैकपैक से बाहर निकाला और वह अपना काम करने लगा। सामने बैठे दोनों लड़कों ने पोटैटो चिप्स का पैकेट पूरा खाली कर दिया था और खिड़की से वे रैपर बाहर फेंकनेवालेही थे तब ध्रुव ने उनकी ओर अपनी निगाह डाली। ध्रुव ने देखते ही दोनों में से एक लड़का रुक गया और उसने रैपर अपनी सीट के नीचे फेंक दिया। ध्रुव फिर से अपना काम करने लगा। अब उन दोनों लड़कों में ध्रुव का लैपटॉप देखने की जिज्ञासा जागृत हुई थी। वह दोनों आपस में धीरे-धीरे बात करने लगे और बीच-बीच में ध्रुव की ओर देखने लगे। यह बात ध्रुव के ध्यान में आ गई। उसने अपना काम खत्म कर लिया और दोनों की ओर देखकर उसने पूछा,” बच्चों, बोलो क्या पूछना चाहते हो? ”

दोनों में से एक ने पूछा,” भैया, तुम लैपटॉप लेकर क्या कर रहे थे? “

जवाब में ध्रुव ने कहा,” मैं अपना प्रोजेक्ट असाइनमेंट पूरा कर रहा था। “

दूसरे ने पूछा,” भैया, तुम कौनसे कॉलेज में पढ़ते हो ? तुम्हारा नाम क्या है? ” 

ध्रुव ने अपना परिचय देते हुए कहा, “ मैं ध्रुव देसाई। मैं रायपूर के शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय में कंप्यूटर सायन्स के दूसरे वर्ष का छात्र हूँ। “

दोनों ने कहा,” हमें तुम्हारा लैपटॉप देखने की इच्छा है।”

ध्रुव ने हँसकर कहा, “ जरूर दिखाता हूँ। पहले तुम दोनों अपना परिचय दे दो। ”

दोनों खुश हो गए और ध्रुव के आजू-बाजू में बैठ गए। पहले लड़के ने कहा,” मैं नीरज, मैं बिलासपूर में पाँचवी कक्षा में पढ़ता हूँ और यह मेरा बड़ा भाई धीरज छठी कक्षा में पढ़ता है। 

ध्रुव ने कहा,” बहुत बढ़िया। ”

      ध्रुव दोनों के साथ बातें करते हुए अपना लैपटॉप उन्हें बताने लगा। बातें करते-करते ध्रुव उन्हें तरह-तरह के चित्र अपने लैपटॉप के स्क्रीन पर दिखने लगा। दोनों दंग होकर देख रहे थे। चित्र देखते देखते एक चित्र पर दोनों की नजर स्थिर हो गई। उस चित्र में पृथ्वी पर बहुत सारा कूड़ा-कचरा अस्त-व्यस्त पड़ा था और पृथ्वी माता के आँखों में आँसू थे। चित्र देखकर दोनों स्तब्ध हो गए और सोच में पड़ गए। उतने में रेलगाड़ी की गति धीमी होते हुए रेलगाड़ी अचानक रुक गई। ध्रुव ने झाँककर खिड़की से बाहर देखा तो बाहर बहुत कूड़ा बिखरा हुआ था। प्लास्टिक की थैलियाँ, प्लेट्स, कटोरे, गिलास, बोतले, खाली रैपर्स ऐसी बहुत सारी चीजें धरती पर अस्त - व्यस्त पड़ी थी। ध्रुव ने दोनों को भी खिड़की से बाहर झाँकने को कहा और बोला,” देखो, कितनी सारी प्लास्टिक की चीजें अस्त-व्यस्त पड़ी हैं। अब तुम्हें समझने में आसानी होगी कि चित्र में धरती माँ क्यों रो रही है।”

ध्रुव ने आगे पूछा,” धरती पर बिखरे हुए इस प्लास्टिक के कूड़े कचरे का आगे क्या होता है यह मालूम है तुम्हें? ” 

दोनों ने ना कहने के लिए अपनी गर्दन हिलाई। धीरज ने कहा,” भैया, तुम ही बताओ ना।” ध्रुव दोनों को बताने लगा,” दरअसल ऐसा होता है कि जो चीज हमें नजर नहीं आती उसके बारे में हम सोचते ही नहीं है। दृष्टि से बाहर, दिमाग से बाहर यह कहावत तुम्हें मालूम होगी। ” दोनों ने फिर से गर्दन हिलाई और हाँ बोला।

ध्रुव दोनों को फिरसे बताने लगा,” देखो बच्चों, प्लास्टिक एक रासायनिक संयुग है।  प्लास्टिक का जैव निम्नन अर्थात जैव विघटन इतनी आसानी से नहीं होता। इस प्रक्रिया के लिए बहुत साल भी लग सकते हैं। कभी-कभी इन चीजों का पूरी तरह से जैव विघटन भी नहीं होता है। आधा अधूरा जैव विघटन होने से जो जहरीले पदार्थ उत्सर्जित होते हैं, उससे जल और मिट्टी का प्रदूषण होता है। पानी के प्रदूषण से पानी की गुणवत्ता कम हो जाती है और ऐसे पानी का सेवन यदि हम बार बार करते हैं, तो हम अनेकविध बीमारियों के शिकार बन सकते हैं। ” दोनों बच्चे बड़े ध्यानपूर्वक ध्रुव की बातें सुन रहे थे।

     दोनों बच्चों की माँ, जो इतनी देर से मोबाइल में व्यस्त थी, वह भी अपने बच्चे इतना ध्यानपूर्वक क्या सुन रहे हैं, यह जानने के लिए ध्रुव का बोलना सुनाने लगी। ध्रुव ने आगे बताया,” मिट्टी प्रदूषित हो जाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। इसलिए अनाज की पैदास कम होती है। अगर अनाज का उत्पादन घट गया तो खाद्यसंकट का सामना करने की संभावना भविष्य में गहरी बनेगी। ” उतने में नीरज का ध्यान खिड़की से बाहर गया और उसने देखा कि एक गाय ने खाना ढूँढते वक्त प्लास्टिक की थैली निगल ली। उसने यह बात ध्रुव को बताई। ध्रुव ने कहा,” इसतरह से कूड़ा कचरा इधर-उधर फेंकने से रास्ते पर भटकनेवाले पशु खाना ढूँढते वक्त बहुत बार प्लास्टिक की थैलियों का सेवन करते हैं। इससे उनके जान को खतरा पैदा होता है। इसलिए हमें कूड़ा-कचरा इधर-उधर फेकना नहीं चाहिए।”

दोनों बच्चों ने इसपर सहमति जताई। उतने में दस / पंद्रह मिनट रुकी हुई रेल को हरा सिग्नल मिल गया और रेलगाड़ी पटरी पर पुनः तेजी से दौड़ने लगी।

    दौड़ते हुए ट्रेन के साथ ध्रुव ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा,” बारिश के मौसम में जब बाढ़ सदृश स्थिति निर्माण होती है तब यह अस्त-व्यस्त फेका हुआ प्लास्टिक का कूड़ा बाढ़ के पानी के साथ नदी में प्रवेश करता है। अंत में नदी सागर से मिलती है। इसलिए यह सारा कूड़ा कचरा अंत में सागर में प्रवेश करता है। इससे जलप्रदूषण होता है और जलीय जीवन का भारी नुकसान होता है। जलचरों की जान को भी खतरा पैदा होता है। ” दोनों भाई ध्रुव की बात सुनकर हैरान हो गए। 

नीरज ने कहा,” भैया, इस तरह से हमने कभी सोचा ही नहीं था। आज से हम चिप्स के खाली पैकेट और रैपर्स इधर-उधर नहीं फेकेंगे।” इतना बोलकर नीरज ने थोड़ी देर पहले सीट के नीचे फेंका हुआ चिप्स का खाली पैकेट उठाया और अपनी थैली में रख दिया। यह देखकर ध्रुव खुश हो गया और उसने नीरज से कहा,” बहुत बढ़िया। ”

धीरज ने पूछा,” भैया, प्लास्टिक के कूड़े कचरे से और कौनसे दुष्परिणाम होते हैं?”

ध्रुव फिर से बोलने लगा,” देखो बच्चों, कभी-कभी यह प्लास्टिक का कूड़ा कचरा जलाने की कोशिश की जाती है। ऐसा करने से बहुत जहरीले और खतरनाक वायू उत्सर्जित होते हैं। इससे श्वसन प्रणाली संबंधित रोग उत्पन्न होते हैं। दूषित हवा के कारण अस्थमा, नैराश्य, अस्वास्थ्य बढ़ता है। कभी-कभी आदमी की मृत्यु भी हो जाती है।”

इस पर धीरज ने कहा,” कितना भयावह है यह सब! ” अपनी बात आगे रखते हुए ध्रुव ने कहा,” बहुत बार खाद्यान्न रखने के लिए प्लास्टिक के डिब्बे का उपयोग किया जाता है। प्लास्टिक कंटेनर में जब खाद्यपदार्थ ज्यादा समय रखे जाते हैं तब प्लास्टिक स्थित रासायनिक पदार्थ धीरे-धीरे घूलने लगते हैं। ऐसे खाद्यपदार्थों का सेवन करने से कैंसर जैसी बहुत खतरनाक बीमारियाँ उत्पन्न होती है। इसतरह प्लास्टिक के असाधारण उपयोग से प्रदूषण और सेहत की अनेक समस्याएँ पैदा होती है। “ इतना बोलकर ध्रुव ने अपने लैपटॉप पर दोनों को प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित अनेक तस्वीरें बताई। बातें करने में और तस्वीरें देखने में समय कैसा बीत गया इस बात का पता ही नहीं चला। आखिर दोनों की माँ ने कहा, “ थोड़ी देर में गोंदिया स्टेशन आ जाएगा। अब भैया को थोड़ा विश्राम दे दो और दोपहर का खाना खा लो। भैया को भी भूख लगी होगी।”

ध्रुव ने हँसकर कहा, “ आंटी, बच्चों के साथ बातें करना मुझे बहुत ही पसंद है। ” 

दोनों ने कहा,” भैया, खाना खाने के बाद हम फिर से बातें करेंगे। ” इसके बाद दोपहर का भोजन सबने मिलकर किया।

     भोजन पश्चात दोनों बच्चे फिर से ध्रुव के साथ बातें करने लगे। उस समय ध्रुव ने पूछा, “बच्चों, प्लास्टिक प्रदूषण से होनेवाले दुष्परिणामों के बारे में तो हम ने जानकारी ले ली लेकिन प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए तुम कौनसी सावधानियाँ आगे चलकर  लोगे इसके बारे में कुछ सोचा है? ” ध्रुव का सवाल सुनकर दोनों सोच में पड़ गए। थोड़ा सोचने के बाद धीरज ने कहा,” हम बाजार में फल-सब्जी आदि चीजें खरीदने के लिए जब जाएँगे तब उस समय कपड़े की थैली साथ में लेकर जाएँगे और बाकी लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा करने से प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग करना धीरे-धीरे कम हो जाएगा।” 

यह सुनकर ध्रुव ने कहा, “धीरज,बहुत बढ़िया।” 

धीरज के बाद नीरज ने कहा,” बस, रेलवे यातायात के दरम्यान हम हमारे घर से निकलते वक्त पानी की बोतले अपने साथ रखेंगे। पानी के लिए हम प्लास्टिक के बोतलों के स्थान पर मेटल की बोतलों का उपयोग करेंगे और सभी को ऐसा करने के लिए अनुरोध करेंगे। ” 

ध्रुव ने कहा,” बहुत ही सटीक बात। ” 

धीरज ने फिर से कहा,” घरेलू समारोह, बर्थडे पार्टीयाँ इसमें हम प्लास्टिक की थालियाँ, कटोरे, प्याले, चम्मच आदि इस्तेमाल नहीं करेंगे। ‘ इस्तेमाल करें और बाद में फेंक दे ’ ऐसी प्लास्टिक की चीजों का उपयोग करना हम पूरी तरह से बंद कर देंगे। प्लास्टिक के चीजों की खरीदारी पर हम नियंत्रण रखेंगे। “ इसपर ध्रुव ने कहा,” यह तो बहुत सही बात बताई तुमने।”

नीरज ने कहा,” भैया, यातायात के दरम्यान चिप्स के खाली पैकेट, रैपर्स आदि चीजें लापरवाही से खिड़की से बाहर फेकना हम बंद कर देंगे। यात्रा समाप्त हो जाने के बाद हम कूड़ेदान में कचरा जमा करेंगे। ”

   बच्चों ने दिए हुए जवाब सुनकर ध्रुव खुश होकर बोला,” बहुत ही उपयुक्त बातें बताई तुम दोनों ने। अभी-अभी तुमने जो बातें बताई वह सारी बातें अपने दोस्तों को बताना मत भूलना।”

 दोनों ने एक साथ कहा,” जी भैया। ” 

बातों बातों में रेलगाड़ी नागपूर रेलवे स्थानक कब पहुँची इसका पता ही नहीं चला। चाय का समय था इसलिए गरमा गरम चाय मंगवाई गई। चाय पीते वक्त ध्रुव ने पूछा, “ तुम दोनों कहाँ जा रहे हो? ” 

धीरज ने कहा,” हम माँ के साथ मलकापूर जा रहे हैं।  हमारे रिश्ते में शादी है वहाँ शामिल होने के लिए जा रहे हैं। ”  

नीरज ने पूछा,” भैया, तुम कहाँ जा रहे हो? ”

ध्रुव ने बताया, “ मैं पुणे में रहता हूँ। हमारे महाविद्यालय को तीन हफ्ते की छुट्टियाँ है।  इसलिए मैं घर जा रहा हूँ। “

नीरज के बाद धीरज ने पूछा,” भैया, तुमने हम दोनों को प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में बहुत सारी जानकारी दी। तुम्हें इतनी सारी बातें कैसे पता चली? ”

ध्रुव ने हँसकर कहा,” मुझे किताबें पढ़ने का शौक है। मैं अपने कान और आँखें हर वक्त खुली रखता हूँ। आजू-बाजू के परिस्थितियों का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करता हूँ। उसके बारे में सोचता हूँ। अगर तुम गौर से निरीक्षण करने की आदत विकसित करोगे तो तुम भी परिस्थितियों के बारे में सोचने लगोगे। “

    आगे ध्रुव ने दोनों से कहा,” बच्चों, प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।  इस प्रदूषण का प्रभाव कम करने के लिए रिफ्यूज, रियूज, रिड्यूस और रिसायकल यह चार सूत्र जरूर ध्यान में रखना।  यह चार सूत्र प्रथमतः खुद आचरण में लाना और सभी को जरूर बताना। “ 

दोनों ने एक साथ कहा,” जी भैया। ” धीरज के मन में कुछ शंका थी, इसलिए उसने पूछा, “भैया, रिसायकल के बारे में तुम विस्तार से बताओगे क्या? “ धीरज का सवाल सुनकर ध्रुव खुश हुआ और दोनों को उत्साह से बताने लगा, “ देखो बच्चों, इन दिनों अनेक ऐसे संगठन है कि जो प्लास्टिक का कूड़ा कचरा इकट्ठा करने का कार्य करते हैं। अपने घर में, सोसाइटी में, कॉलोनी में जमा हुआ प्लास्टिक का कचरा हम ऐसे संगठनों के साथ जुड़कर जमा करें तो बहुत बेहतर बात है। प्लास्टिक के कचरे का रचनात्मक तरीके से इस्तेमाल करके हम बहुत सारी चीजें बना सकते हैं, जैसे कि हैंडबैग, लंचबैग, बैकपैक, वॉलेट, पर्स आदि। बहुत सारी स्टार्टअप कंपनियाँ प्लास्टिक का कचरा ऐसे संगठनों से इकट्ठा करके यह सारी चीजे बनाने में जुटी हुई हैं। ” इतना बोलकर ध्रुव ने अपना बैकपैक दोनों को दिखाया। ध्रुव ने बताया,” यह बैकपैक प्लास्टिक के कचरे से ही बना हुआ है। इसको बनाने के लिए पहले प्लास्टिक के कचरे को अच्छी तरह से धोकर साफ सुथरा किया जाता है और फिर धूप में सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया हाथ से की जाती है। इसके लिए बिजली और किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके बाद प्लास्टिक का रंग और मोटई के आधार पर उसे वर्गीकृत किया जाता है और लंबी पट्टियों में काटा जाता हैं। उसके बाद उन्हें पारंपरिक चरखे पर घुमाकर एक कपड़े में बनाया जाता है और इस कपड़े [ वस्त्र ] से यह सारी चीजें तैयार की जाती हैं। ” ध्रुव का बैकपैक देखकर और उसने बताई हुई बात सुनकर दोनों अचंभित हो गए। ध्रुव ने अपनी बात आगे बढ़ाई और कहा, “प्लास्टिक के कूड़े से अब सड़के भी बनाई जा रही है और इंधन निर्माण के लिए भी प्लास्टिक के कूड़े का उपयोग किया जा रहा है। “ दोनों यह बात सुनकर दंग हो गए।

      रेलगाड़ी शेगाव पहुंचनेवाली ही थी। दोनों की माँ ने कहा, “ ध्रुव, तुमने आज बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी दी। धीरज और नीरज को बहुत सारी जानकारी तुम्हारी वजह से मिल गई। बहुत-बहुत शुक्रिया। ” 

ध्रुव ने कहा,” मुझे जो बातें मालूम थी वो मैंने दोनों को सुलभ भाषा में बताई और उनके मन में प्रदूषण के बारे में जागरूकता पैदा की।  हमारी धरती का और पर्यावरण का रक्षण करना हमारा दायित्व बनता है। इस दायित्व  को निभाने की कोशिश मैं अपनी तरफ से कर रहा हूँ। “

यह सुनकर दोनों ने कहा,” आज से हम दोनों भी तुम्हारे साथ है। हम भी अपना दायित्व याद रखेंगे और निभाएंगे। ” 

ध्रुव प्रसन्नता के साथ मुस्कुराया और बोला,

“ मुझे तुम दोनों से यही उम्मीद थी। इसतरह से कारवाँ बनता जाएगा। ” 

आगे ध्रुव ने दोनों से पूछा,” मैंने थोड़ी देर पहले बताए हुए चार सूत्र सदैव ध्यान में रखना। ” दोनों ने एक साथ कहा,” रिफ्यूज, रिड्यूस, रियूज और रिसायकल ये चार सूत्र हम सदैव ध्यान में रखेंगे और इनका प्रसार करेंगे। आज का यह सफर हमारे लिए बहुत ही संस्मरणीय रहा। इस सफर ने हमें बहुत कुछ सिखाया। ” इतना बोलकर दोनों ने ध्रुव के साथ हाथ मिलाया।

ध्रुव ने दोनों की पीठ थपथपाई और कहा,

“ मेरे भी स्मरण में यह सफर और तुम दोनों सदैव रहेंगे। “

    दस-पंद्रह मिनट में रेलगाड़ी मलकापूर रेल स्थानक पर पहुँच गई। दोनों ध्रुव को बाय बोलकर अपनी माँ के साथ नीचे उतरे। ध्रुव के चेहरेपर प्रसन्नता छाई हुई थी और एक आंतरिक संतुष्टी के साथ उसका आगे का सफर शुरू हुआ।


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ऋजुता देशमुख 

     


     



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