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संस्कार

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कोरोना 21दिन लाॅगडाऊन

 

     हिंदूस्तान के इस मुल्क में जहाँ गंगा-जमूना बहती है।बड़ा भाईचारा है।लेकीन एक छोटासा बच्चा अपनी माँ-बाप से पुछता है।अब तक तो ठिक चल रहा था।आप दोनों अपने-अपने ड्यूटिपर जाते थे। आज ऐंसी क्या विपदा आन पड़ी की आप मुझे घर पर ही रहने को कह रहे हैं।

तब उन्होंने बच्चे से लाॅगडाऊन का अर्थ समझाया और यह क्यों जरुरी है।यह समझाकर माँ अस्पताल में नर्स थी और पिता एक रिटायर्ड मेजर महसूल विभाग में काम करते थे।अभी उनपर वर्धा जिल्हे की गिरड बाॅर्डरपर तैनात किया गया था।

देखो इस बच्चे की तारिफे काबिल हरकते। अगर कोई बच्चा भी टेरीसपर चढने आता तो अंदर से ही उसे समझाता।क्यों भाई आपके मम्मी-पप्पाने आपको समझाया नही क्या?यह कोव्हिड-19 कितना खतरनाक है। एक दुसरे के छिंकने से, हाथ मिलाने से, साथ खेलने से भी एक दुसरों को  हो सकता है।इसलिए आप सरकारी सभी सुचनाओं का पालन करें। ।"घर मे रहे ।स्वस्थ रहे।" बाहर निकलना मत! जब वे ड्यूटी से वापीस आते तो वह दोनो को सॅनिटाईझ होकर नहा लो।मैं आप के लिए पानी लाता हूँ।आप थक गये होंगे। लेकीन मैंने बिल्कूल भी दरवाजे की लक्ष्मण रेखा पार नही की। रोज की तरह वह जब वापीस आते तो सब लोग उन्हें बताते की आप का कृष्णा एकदम समझदार है। उसने हमारी बच्चो को भी घरपर रहने को सिखायाँ।

एक बच्चा जिसके माँ-बाप देश की सेवा में जुटे है। वह छोटासा मासुम इस बात को समझा सकता है। क्योंकी देशभक्ती उसके रगरग में बहती है। और हम बडे होकर भी अभी तक ये नही समझ पा रहे की, बाहर नही निकलना है। कभी गार्डन में क्रिकेट खेलने पहूच जाते,तो कभी पार्क में निकल पडते। 

कभी लाॅगडाऊन सही चल रहा की नही यह देखने निकल पडते।सिधी बात को डंडे खाकर समझ जाते।

    जो अपने देश के लिए योद्धा बनकर निकल पड़े उनके बच्चे खुद को संभालकर इस देश को बचाना चाहते।उन्हे ये भी पता नही की आज मेरे मम्मी-पप्पा घर वापीस आयेंगे की नही।आयेंगे तो भी कोरोना उनके पिछे कभी भी दौड लगा सकता। लेकीन नही हम तो उनको प्रणाम करने के बजाये जब बाधा डालते तब उस मासुम के दिल पर क्या गुजरती हैं। यह सिर्फ और सिर्फ देशभक्त ही समझ सकता है।

मैं सबसे गुजारिश करती हूँ की,उस छोटे कृष्णा की बात मानीए? जिसने सभी बच्चो को,बुजुर्गो को घर में रहने की सलाह दी है!

  बड़ा कठिण दौर है। गुजर जायेगा ।यह वक्त भी बदल जायेगा। फिरसे खुशहाली होगी।धिरज बनाये रखे। एक दुसरे की मदत करे। कृष्णा की बातो पर अंमल करे ।

 मेरा उन सभी योद्धाओंको सौ-सौ बार प्रणाम।उनके परिवार को मै नमन करती हूँ। "राही मनवा दु:ख की चिंता क्यू सताती है।दु:ख तो अपना साथी है।"

 

सौ.छाया हरिभाऊ राडे

राठी ले-आऊट राष्ट्रभाषा रोड,वर्धा

मो.नं.9960129993

 

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