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ट्रेन कथा

मैं निश्चित टाईम से आधा घंटा पहले स्टेशन पर आ गया और इंक्वारी पर पुछ लिया की प्रयाग राज जाने वाली ट्रेन कौन से प्लेट फार्म पर आयेगी। पता लगा तीन नंबर पर। मैं अपने थके हुए कदमों को जबरदस्ती उठाता हुआ फ्लाई ओवर से होता हुआ प्लेट फार्म नंबर तीन पर एक बेंच पर बैठ गया। कोट की ऊपरी जेब से टिकट निकाल कर पुन: देखा स्लीपर कोच ४ के बारे में सोचने लगा तभी एक और बुजुर्ग जो बराबर की बेंच पर ही बैठा था।
,, भाई साहब यह स्लीपर कोच ४कहां पर रुकेगा।
,, शायद थोडा आगे, ये स्क्रीन बता रही है,,। कंपकंपाते हुई आवाज में उस बुजुर्ग ने बताया।
मैं थोडा आश्वस्त हो गया। तभी ट्रेन धड़धड़ाती हुई आई और धीरे धीरे धीमी चाल में रुक गई। मैने अपना बैग उठाया और स्लीपर कोच ४,, की ओर बढ़ गया। सवारियों की भीड़ अधिक न होने के कारण आराम से कोच में आ कर बैठ गया। शरीर में शायद हल्का सा बुखार होने के कारण थकान कुछ अधिक ही हो रही है, इसलिए मैं अपनी बर्थ पर चादर ओढ़ कर लेट गया, अपना छोटा बैग सिर के नीचे लगा लिया। मुझे लगा धीरे धीरे कोच के अन्य यात्री भी अपनी अपनी बर्थ पर आ गए। मेरे दिमाक में परिवार की उथल पुथल चल रही थी इसलिए मैंने अपनी आंखें बन्द कर ली और सोचने लगा, क्या इसी टाइम के लिए मैने और सुधा ने औलाद पैदा की थी। सुधा तो इसी टेंशन के कारण चली गई और मैं अपनी ज़िंदगी में अकेला हल्कान हो गया। ट्रेन के चलने मे शायद अभी थोडा टाईम था, तभी एक आवाज मेरे कानों को सुनाई दी,
,, क्या मैं अगले स्टेशन तक आपकी सीट पर बैठ सकती हूं,,।
मैने धीरे धीरे अपनी आंखें खोली और कहने वाली आवाज की ओर देखा, फिर अपने पैर इकट्ठे करते हुए,, बैठ जाईए,,। मेरे कहने के साथ ही वो बुजुर्ग महिला अपने छोटे से बैग को अपनी गोद में लेकर बैठ गई।
न जाने क्यों उस बुजुर्ग महिला की आवाज मुझे कुछ कुछ जानी पहचानी सी लगी। फिर अपने मन का बहम मान कर अपनी आंखें बन्द कर ली।
,, मैं जल्द बाजी में गलत कोच में बैठ गई, अगले स्टेशन पर अपने कोच में चली जाऊंगी,,। शायद बुजुर्ग महिला ने सामने वाली बर्थ पर बैठी हुई महिलाओं से कहा।
,, आप कहां तक जा रही है,,। सामने वाली एक महिला ने बुजुर्ग महिला को टोका।
,, पता नहीं,,। अनमने ढंग से उस बुजुर्ग महिला ने कहा।
,, फिर आपने टिकट कहां का लिया,,। सामने वाली महिला ने पुछा।
, यह ट्रेन कहां तक जायेगी,,।
,, प्रयाग राज तक,,।
,, बस वहीं तक,,। अचकाचाते हुऐ बुजुर्ग महिला ने जबाव दिया। मुझे उसकी आवाज परेशान करने लगीं । जब मुझसे न रहा गया तो मैं बैठ गया और उस बुजुर्ग महिला के चेहरे की ओर देखने लगा।
,, माफ करना मैने आपके आराम में खलल डाल दिया,,।
,, आप कहां से है,,। मेरी आवाज सुनते ही उस बुजुर्ग महिला ने ध्यान से मेरी ओर देखा, मुझे उसकी आंखें भी जानी पहचानी सी लगी।
,, श्रीकांत,,। वह धीमी आवाज में बड़बड़ाई।
,, अलका,,। मेरे मुंह से निकला
,, हां,,। यह सुनते ही यकायक मेरे दोनों हाथ खुल गए, और अलका मेरी बाहों में समा गई और फुट फुट कर रोने लगी।
,, तुम कहां चले गए थे श्रीकांत,,। रोते रोते हुए अलका ने पुछा। सामने वाली सीट पर बैठी हुई महिलाए आश्चर्य से हमें देखने लगी। हम दोनों के रोने के साथ साथ ट्रेन भी अपनी गति से दौड़ने लगी।
,, मैने तुम्हें कहां कहां नही तलाश किया,,। अपने आंसुओं को पीते हुए कहा अलका ने।
,, अलका जब मैने तुमसे शादी के लिए कहा था तो,,।
,, तब मैं मजबूर थी श्रीकांत, मेरे पापा ने मुझे मजबूर कर दिया था और मैं मजबूर हो गई, लेकिन शादी तुमने पहले कर ली थी,,। मेरे शब्दों को काटते हुए कहा अलका ने।
,, और क्या करता, जब तुमने स्पष्ट मना कर दिया था और वैसे भी मेरे पिता उस समय अपनी आखरी सांसे गिन रहे थे, उनकी जिद थी कि मेरे सामने ही शादी हो जाए,,।
,, फिर सारा दोष समय का था,,। अलका ने मुझे समझाने का प्रयास किया।
,, खैर छोड़ो, अब क्या चल रहा है,,। मैने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा।
,, अब कुछ भी नहीं चल रहा है, एक लडका और एक लङकी है, लङकी शादी के बाद लंदन चली गई और लडका शादी के बाद इतना बदल गया कि आज मैं किसी वृद्ध आश्रम की तलाश में , और तुम,,,? कहते कहते अलका ने मेरी ओर देखा।
,, मेरा क्या है, मैं भी औलाद के व्यवहार से परेशान हो कर प्रयाग राज में एक वृद्ध आश्रम में जा रहा हूं,,।
,, क्या तुम्हारी औलाद भी,,।
,, कुछ मत पूछो अलका, तुम जानती हो कि मैं एक सरकारी जॉब में लग गया था, रिटायरमेंट के बाद मैने अपना सारा पैसा अपने तीनों बच्चों को बांट कर दे दीया, आज जब मेरी पत्नि मुझे छोड़ कर चली गई तो,,। आगे के शब्द आंसुओं में भीग गए।
,, ओह श्रीकांत न जाने आज के बच्चों को क्या हो गया,,। एक लंबी सांस लेते हुए कहा अलका ने। एक पल के लिए चुप रहने के बाद अलका ने पुन: मेरी ओर देखा,, एक बात कहूं श्रीकांत,,।
,, हां कहो,,।
,, क्या तुम इस उम्र में मेरे साथ रह सकते हो,,।
मैं यह सुनकर आश्चर्य से अलका की ओर देखने लगा।,, क्यों न हम दोनों नए सिरे से अपनी ज़िंदगी की शुरुआत करें,,।
,, अलका तुमने मेरे दिल की बात कह दी,,। और मैने pun: अपनी बाहें फैला दी, अलका सिमट कर मेरी बाहों में समा गई। सामने की सीट पर बैठी हुई महिलाओं ने तालियां बजा दी।

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