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प्यार तो तब होता....

प्यार तो तब होता....


मैंने कहा, 

मैं बात नहीं करना चाहती 

और तुम मान गए!

प्यार तो तब होता,

जब मैं बात ना करती 

और तुम 

मुझसे कहलवा लेते 

वे सारी बातें 

जो मैं खुद से भी ना कह सकी....


मैंने कहा, 

मैं मिलना नहीं चाहती

और तुम चले गए!  

प्यार तो तब होता 

जब मैं इंकार करती मिलने से 

और तुम पकड़ लेते मेरा हाथ

यह कह कर कि

जब तक मिलने का वादा नहीं करोगी 

मैं जाने नहीं दूँगा तुम्हें


मैंने कहा,

मुझे अकेला छोड़ दो 

और तुमने छोड़ दिया!

प्यार तो तब होता 

जब सजा देते तुम अपनी 

मौजूदगी से मेरी तनहाइयों को 

यह कहकर कि 

अब तुम सिर्फ तुम 

और मैं सिर्फ मैं नहीं

मैं और तुम 

अब हम हैं...


©ऋचा दीपक कर्पे 

२३ अप्रैल २०२४

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