ऐ बादल तू वहाँ बरस...
ऐ बादल तुं जम के बरस
ऐ बादल तुं वहाँ ज़ोरों से बरस ,
जहाँ खेत सुखे, डगरिया सुनी पड़ी।
ऐ बादल तु यहाँ थम के बरस,
इन मकानों की छतें कमज़ोर पड़ी।
ऐ बादल तुं वहाँ जम के बरस,
जहाँ नदी - तालाब सूखे पड़े।
ऐ बादल तुं यहाँ नम हो के बरस,
यहाँ आँखों के आँसू सुख रहे।
ऐ बादल तुं वहाँ गरज के बरस,
जहाँ वीराने घने , सुने पड़े।
ऐ बादल तुं मन में आ कर बरस,
यहाँ दिलों में खाली कोने सूखे पड़े।