‘माँ ह्रदय का स्पंदन’ - सरोज यादव
माँ शब्द में आत्मिक सुख
जो हृदय में सुखद स्पंदन
जाग्रत कर दे
माँ के आँचल की शीतल
छाया में स्वर्ग-सा आनन्द
माँ वो अमृत जो प्रेरणा का स्त्रोत
जीवन की धारा को सुखद मोड़
दे कर जीने का मार्ग प्रशस्त कर दे
माँ का अनोखा प्यार अद्वितीय
उसका ममत्व उसका दुलार शब्दों से परे
माँ ही गंगा माँ ही यमुना
माँ के चरणों में चारों धाम
माँ के समतुल्य कोई दूसरा नहीं
विश्व की समस्त मातृ सत्ताओं को
शत-शत नमन शत-शत नमन