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अरुसिया

अरुसिया


ग्रे कलर की कार बंगले के पार्किंग में आकर रुकी। जबरदस्त फुर्ती के साथ दूध जैसी सफेद वर्दी से लकधक नौकर ने तेजी से दरवाजा खोला।

पहले ब्राउन कलर के चमचमाते बूट और उसी कलर से मैच करता हुआ पाँवचा नजर आया। तत्पश्चात नजर आया वह— लगभग साडे 5 फुट का बलवान व्यक्ति था वह। वाइट शेड वाली ग्रे कलर की टाई आगंतुक के गले में जच रहीं थी। आगंतुक शख्स का व्यक्तित्व ऐसा था कि उसे देखकर हर कोई प्रभावित हो गया था। उसकी उम्र तकरीबन 35 साल रही होगी। रंग गोरा बिल्कुल मक्खन में मिले चुटकी भर सिंदूर जैसा। बाल उसके व्यवस्थित सुलझाए हुए थे। कानों के ऊपर के बालों ने सफेदी पकड़ ली थी। आँखों पर लगे गोल्डन फ्रेम के चश्मे और लाल चटक गाल उसकी रईसी की चुगली खा रहे थे। गाड़ी से निकलकर वो बंगले की और आगे बढ़ा। अंदाज़ ऐसा था जैसे जमी को अपने पैरों तले रौंद देना चाहता हो। 

वह सौरभ सिन्हा था, ब्रेन लिंक का संस्थापक। एक अनुपम मिलनसार व्यक्तित्व। सूट-बूट में एक बिजनेसमैन को सूट करती पर्सनालिटी पर शरीर के कुदरती सौंदर्य सौष्ठव का आवरण। 

फिल्मी हीरो को टक्कर देने वाला कसरती शरीर, आकर्षक चेहरा और स्वप्निल आँखें। 

ब्रेन लिंक के सफल प्रत्यारोपण के बाद उसके उत्साह की कोई सीमा नहीं थी। वह अपनी पत्नी अरुसिया के साथ इस विलक्षण क्षण को शेयर करके अविस्मरणीय स्मृति को अपनी यादों के पिटारे में संभालना चाहता था। हॉल में प्रवेश करते ही सेंटर में मौजूद झूला थम गया। झूले की सांकल थामकर अरुसिया ने तिरछी नजरों से अपने पति की ओर देखा।

अरुसिया ब्लैक फिटिंग ड्रेस में काफी आकर्षक लग रही थी। पत्नी की आँखों में उठे तूफान को परख कर सौरभ बोल उठा,  "हेलो डार्लिंग! सरप्राइस सुनने के बाद तुम्हारे होश उड़ जाएंगे!" सौरभ पत्नी के एक्सप्रेशन देखने रुका।

"जानती हूँ!" वह सपाट लहजे में बोली, ब्रेन लिंक का प्रत्यारोपण सफल रहा यही कहना चाहते हो ना?" सौरभ आवाक-सा पत्नी को देखता रहा। 

"इतनी सीक्रेट रखी गई बात को तूने कैसे जान लिया?"

वह बात दूसरे नंबर की है जाने जिगर, मुद्दे की बात यह है कि इतनी ज्वलंत सफलता के बाद तुम इनाम के हकदार तो हो ही। मैंने तुम्हारे लिए एक सरप्राइज प्लान किया है। जरा बेडरूम में चलिए तो सही।"

अरुसिया का बर्ताव सौरभ को अजीब लगा। ह्रदय दूसरी बार एक धड़कन चूक गया। फलाच्छादित आम्रवृक्ष की ओर झुक कर अरुसिया झूले से उठी, अर्थ खुलें उरोज पर पसरी हुई लालिमा विद्युत के चमकारे की तरह सौरभ की आंखों में उतर गई। अरुसिया के शब्दों में माधुर्य की बारिश नही बल्की निस्पृह यांत्रिकता ज्यादा नजर आई। हाथ थाम कर चल रही पत्नी की बलखाती कमर पर सौरभ की निगाहे ठहर गई। कोई अगम्य आकर्षण था उसके आक्रमक अंदाज में सौरभ को अपने पीछे घसीटती हुई वह आगे बढ़ गई।

सौरभ का ध्यान उसने भटका दिया था। कुछ पाने का रोमांच और जिज्ञासा लेकर सौरभ उसके पीछे घसीटता गया। बेडरूम में लाकर अरुसिया उसके कपड़े उतारने लगी। सौरभ उन्मादी होकर बहकी हुई पत्नी की व्याकुलता को पीता रहा। सौरभ की बाजू धाम कर पूरे वेग से उसे बेड पर धक्का दिया। सौरभ बेड पर गिर पड़ा। सौरभ का घुटनों से नीचे वाला हिस्सा पेड़ के नीचे झुलने लगा। अरुसिया सौरभ के पेट पर चढ़ बैठी। आकस्मिक उठी धुंध भरी रेशमी आंधी से सौरभ सहम गया।

अरुसिया की आँखों में तेज चमक दौड गई।

"कैसा सरपाईज है पूछोगें नहीं?" अपने शरीर पर बढ़ रहे बोझ से सौरभ तिलमिला उठा।

"हाँ मगर…" पेट पर बढते दबाव से उसकी आवाज दब गई।

"डॉन्ट वरी, मैं ही बता देती हूँ। अरुसिया ने एलईडी स्क्रीन की ओर रिमोट घुमाया।

काफी मुश्किल से सांस ले रहे सौरभ ने पीडा के भाव लिये चहेरा विशाल एलईडी स्क्रीन की ओर किया। ब्रेनलिंक की ऑफिस में सौरभ एक फिरंगी लड़की के साथ कढंगी अवस्था में नजर आया। बेडरूम में गूंज रहे दोनों की मादक आवाजो से तिलमिलाई अरुसिया ने रिमोट एलईडी स्क्रीन पर दे मारा। बिखरे हुए स्क्रीन की तरह ज्वालामुखी बनकर वह फट पड़ी।

"नफरत है मुझे तुझ जैसे व्यभिचारी पुरुषों से। हाक् थू!" अरुसिया ने थूक से सौरभ का चेहरा भर दिया। सौरभ अरुसिया का भयानक रूप देखकर काफी डर गया। अरुसिया छलांग लगाकर डायरेक्ट सौरभ के कंधे पर बैठ गई।

कमर से टूट चुके सौरभ के हाथों को घुटनों के बीच फंसा कर उसने ताकत लगाई। बीवी की पकड़ से छूटने के लिए सौरभ छटपटाया। बाजुओं की ताकत आजमाई लेकिन उसकी कोई भी कारी कारगर साबित न हुई। जैसे जैसे वह सौरभ के गले पर दबाव बढ़ाती गई सौरभ का दम घुटता गया। सौरभ की बड़ी बड़ी आँखें बाहर निकल आई। कुछ देर छटपटाने के बाद वह बेहोश हो गया। अरुसिया के चेहरे पर घातक मुस्कान रेंग गई। अपने हाथ को उठा कर आगे पीछे घुमाया। उसी चमडी हरी पडने लगी। उंगलियों के नाखून बढ़कर नुकीले हो गए। अरुसिया ने नुकीले नाखून दोनो होठों के कोने से सौरभ के मुंह में फसायें। और दोनों तरफ के गालों को  खींचने लगी।

अरुसिया के हाथों में बढ रही प्रचंड ताकत उसके खिंचते होठ और पेशानी पर पडी झुर्रियां में नजर आई। लहूँ का फव्वारा उछला। और उसके दोनो गाल विरुद्ध दिशा में फट गये। लहूँ की धारा बह निकली। लहूँ से सने दाँत साफ साफ नजर आये। ठीक तभी छलावे की तरह उछल कर आया बदसूरत जीव जोंक की तरह लहू की धार पर चिपक गया। 

तब पूरे कमरे में लहू पीते होंठों की चुस्कीयाँ गुंज उठी। 


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