✍...माँ ..✍ मीना गौड़ (मीनू मांणक )
माँ , माँ होती है ,
आँचल में छुपा लेती है ।
हृदय में बसा लेती है माँ ।।
त्याग , धैर्य की पूंजी है माँ ,
मुश्किलों में साथ देती है ।
हर ग़म बांट लेती है माँ ।।
नहीं करती फर्क , बच्चों में कभी ।
आँचल में खेल रहा बेटा हो ,
या कोख में पल रही बेटी ।।
दोनों के लिए लड़ जाती है माँ ।
वज़ुद खुद का मिटा कर ,
संसार बच्चों का बसाती है माँ ।।
माँ , माँ होती है ,,,,
आँचल में छुपा लेती है माँ ।।