रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

‘माँ ममतामई बेल’ - ऋतु प्रिया खरे

जन्मदिवस की इस बेला में प्यारा-सा उपहार दूँ मैं।

काव्य-सुमन का गुलदस्ता आपको उपहार दूँ मैं ।।

 

आपने माँ की ममता, अमृत तुल्य जीवन दिया।

यह सदा उपकार रहेगा, नव मास कोख में जिया।।

 

तन भी सुंदर, मन भी सुंदर, तुम हो अद्भुत ईश-कृति ।

धन्य हो मेरा जीवन इतनी प्यारी माँ मिली।।

 

प्रेम, दया, ममता की सरिता, दिव्य दर्शन ज्ञान दिया।

आपका सत मार्गदर्शन, सारा जीवन उत्थान किया।।

 

सास-ससुर का आशीष आप पर सदा रहा।

बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद छत्रछाया-सा सजा ।।

 

कृष्ण की हर दम है प्यारी राधा रूप धर आई हैं ।

अपने प्रियतम की दुलारी जोड़ी अद्भुत सुहाई है।।

 

कला साहित्य संगीत, ललित कलाओं की त्रिवेणी ।

अनुपम अलौकिक दिव्य सत्संग की सजा दी वेणी।।

 

सरगम की सरिता बहाती रसमय सारा संसार हुआ।

संगीत की लहरी सजाती, सुरमय-सा ये घर बना ।।

 

शांत सौम्य सुसंस्कृत, सहस्त्र गुणों का है मेल।

भव्य-सा व्यक्तित्व है, माँ ममतामई बेल।।

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु