‘तू कितनी भोली है’ - सरिता काला
हे माँ तू कितनी भोली है
अंतर्यामी हैं
माँ ‘माँ’ होती हैं
माँ की जगह भगवान भी नहीं ले सकता
मैं हर दिन मातृ-दिवस मनाती हूँ
मेरी सासू माँ मेरी अपनी माँ
हे माँ तू कितनी अंतर्यामी है
हे माँ तू कितनी भोली है
माँ के आगे सारे तीरथ कच्चे
हे माँ तेरे आँचल मैं अब छुपा ले मुझे
हे माँ इस दुनिया में कितनी महामारी है
हे माँ अपनी गोद में मुझे सुला ले
हे माँ तू अंतर्यामी है और कितनी भोली है