समर्पण ही है मैत्री का सम्बन्ध सदा -वन्दिता श्रीवास्तव
मालवा अंचल का प्रवास।नव शहर नव परिवेश। क्लब का प्रथम अनुभव। नये लोगों का समूह। संकोची स्वभाव। सबसे मिलने मे बहुत समय लगा। एक दीपित' मुस्काते ऊर्जावान चेहरे ने मन हृदय मे जगह बना ली।कला ज्ञान प्रेम का अद्भुत संसार समेटे अंजु जी,दीप शिखा सी,अपना प्रकाश फैला रही थीं। समय के साथ मित्रता पंख पसारने लगी।कलाओं के अकूत खजाने की स्वामिनी अंजु जी आज अपना प्रकाश चहुँ ओर फैला रही है।माँ अन्न पूर्णा का विशेष आशीष उन्हे प्राप्त है।समाज की कोमल भावनाए कूट कर भरी हुई हैं। मदद के लिये हाँथ सदैव खुले हैं। कला की विभिन्न विधाओं में कैन्डल मेकिंग पेपर बैग लिफाफे पेन्टिंग क्ले वर्क गार्डनिग साड़ी पेन्टिंग वारली मांडणे पेन्टिंग सिरेमिक वर्क उनके प्रिय रचना कर्म हैं। लेखन में भी आपकी अभिरुचि है।सकारात्मक सोच उनको जीवन्त बनाती है।खुशियाँ उनसे खुशी पाती है।जीवन के कठिन पलों को भी उन्होंने हंसते हंसते स्वीकारा है व विजय प्राप्त की है।ईश्वर सदैव उनके साथ है।मेरा सौभाग्य है उनका प्यारा सानिध्य हमे मिला है।
स्नेह,साथ और समर्पण ही है
मैत्री का सम्बन्ध रहा
बंधा रहे यह भाव सूत्र से सदा सदा
-वन्दिता श्रीवास्तव