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माँ - पुष्पावती व्यास की चिठ्ठी

 

 

प्रिय लाड़ली बेटी सौ .अंजू ,

तुम सब भोर की बेटियां मेरी अंतरात्मा की आवाज हो,सरस्वतीकी  साकार कला  हो,स्त्री मन के  भावों की  तुम सब  अभिव्यक्ति हो ।पर सौ.स्वाति ने कहा है केवल तुम पर कुछ कहना है तो मेरे अनुसार तुम सिर्फ अंजू नहीं हो  तुम अनुपम हो,अद्वितीय हो,अतुलनीय हो.क्योंकि तुम सिर्फ तुम हो जिसके रूप में  लक्ष्मी और सरस्वती एक साथ रहती है .गणेश स्थापना के भजन संध्या पर तुम्हारा नृत्य देखा ,संगीत सुना ,कला देखी ,ममत्व .स्नेह ,सौन्दर्य ,सखिरूप ,प्रिया भी दिखी और आदर्श बेटी और  बहु भी .घनी है वो घर जहाँ तुम हो और धन्य है वे आदरणीय माता पिता   जिनके घर अंजू जैसी बेटी पधारी .तुम कला के रंगों को आसमान तक विस्तार दो .खुशियों  के मोती बिखेरों ,औरप्रसन्न रहो यही आशीर्वाद हमेशा है .नानी और दादी के दायित्वों को संस्कारों की शिक्षिका बन कर पूर्र्ण करती रहना .

चिरंजीव रवीश जी को और आपको सस्नेह आशीर्वाद .जन्मदिन की हार्दिक बधाई .शुभकामनाएं .  

माँ -

पुष्पावती व्यास,धार

                                                                                                                        

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