भारती मैडम की सजा - कहानी लिखो -डॉ सुधा चौहान राज
कभी-कभी कोई घटना जीवन की दिशा और दशा दोनों ही बदल देती है । उस समय मैं कक्षा सातवीं में पढ़ती थी मेरी जो क्लास टीचर थीं वह बहुत ही शांत सरल स्वभाव की एक कवियत्री थी । गलती होने पर वह कभी शारीरिक दंड नहीं देती थी। उनका दंड था। जाओ कक्षा के बाहर बैठो और आमुक विषय पर 2 पेज का निबंध लिखकर लाओ। अगर निबंध नहीं लिखा जाता तो इंटरवल की छुट्टी भी गोल हो जाती, अतः निबंध लिखना जरूरी था।
एक बार मेरी सहेली ने होमवर्क के लिए मेरी कॉपी ली और दूसरे दिन वह घर भूल आई । मुझे कॉपी चेक कराना थी । इस कारण मुझे बहुत गुस्सा आया कि वह अपनी कॉपी तो ले आई और मेरी कॉपी घर पर रख कर आ गई मैं समझती थी कि मुझे क्लास में डांट पड़ जाने के लिए ही उसने ऐसा किया है। मैंने उसे भला बुरा कहते हुए गुस्से में उसकी कॉपी फाड़ डाली लो मेरा होमवर्क चेक नहीं होगा तो तुम्हारा भी नहीं होगा।
तभी क्लास टीचर क्लास में आ गई।मेरी सहेली ने रोते हुए सारी बात टीचर को बताई, अब तो मेरी शामत आना स्वाभाविक था ।अतः टीचर जी ने एक साथ मुझे दो - दो काम दे दिए पहला निबंध लिखना था - गुस्सा करना गलत बात है ।और दूसरी सजा कहानी लिखना थी - मेरी प्रिय दोस्त रेखा ।रेखा वही लड़की थी जिससे मेरी लड़ाई हुई थी।निबंध तो मैंने जैसे तैसे पूरा कर लिया परंतु कहानी लिखने में बहुत मशक्कत करना पड़ी और जैसे तैसे करके तीन घंटे में मैंने होम वर्क की तरह वह कहानी पूरी कर डाली।
जिसे पढ़कर मैडम ने बहुत तारीफ की। और उसमे कुछ सुधार करवा कर दूसरे दिन प्रेयर के समय वह कहानी सबके सामने मैंने पढ़कर सुनाई ।सभी ने उसकी तारीफ की और उसी दिन से मेरे अंदर एक लेखक का जन्म हुआ। वह कहानी मेरे पापा ने मेरा मार्गदर्शन करते हुए न्यूज़पेपर में निकलवाई।इन सब बातों से मेरा हौसला बहुत बड़ा आज भी मुझे जब कोई सम्मान मिलता है,तो मैं अपनी पाठशाला और उन भारती मैडम को अवश्य याद करती हूं।
9826030993