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પ્રકરણ 2

भले उग्या भाण...... 

सुवर्ण रथडे पधारी जग जगाडता
       भगाडी आलस, कर्मे प्रेरता रविराय
          ☀☀
हु "राज" नमन्यु हजार करु
         मिटावी दुख, सुख आपजो भाण

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             ☀हे भगवान भाष्कर देवता आप सवारे सोनेमढेल रथ पर सवार थईनै सारथि अरुणदेव साथे धरती परना सुता जगत ने जगाडो छो, अने माणसमां प्रवेशैल आणसने पण आप भगाडो छो.
           मस्त जगतने आप प्रेरणा आपि कर्मप्रधान  मेहनतु बनावि धरती नेखुब हरियाणी सम्रुध्ध  बनावो छो,

         ☀ हु राज आपने हजार वार नमन करी  विनती करू छु के अमारा दूख मिटावीने सुख आपजो रवि राय
हु आपने अंतरधी नमन करू छू,

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