Seema Puranik - (16 June 2021)"तब के बच्चों में बहुत धैर्य था" यह पुरा सच नहीं है दर असल जिनमें धैर्य की कमी होती थी उनमें खेल के कारण धैर्य आ जाता था । जीवन का मूलभूत ज्ञान तो खेल ही सिखाते थे खेल खेल में ।सच, स्वर्ण युग कह सकते हैं उन दिनों को।बहुत अच्छा लेखन 🌹