Smita Ved Pathak - (18 July 2021)गुजरा जमाना बचपन का आया है मुझे फिर याद वो जालिम बहुत खूब
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akshata देशपांडे - (30 June 2021)बहुत उमदा लेखन. सच है बचपन के दिन भी क्या दिन थे उडते फिरते तितली बनके... हम सब का बचपन ऐसे ही माहोल मे पला और बढा है. बहुत खूप ऋचा जी 😊