• 01 January 1970




Smita Ved Pathak - (18 July 2021) 5
गुजरा जमाना बचपन का आया है मुझे फिर याद वो जालिम बहुत खूब

1 0

akshata देशपांडे - (30 June 2021) 5
बहुत उमदा लेखन. सच है बचपन के दिन भी क्या दिन थे उडते फिरते तितली बनके... हम सब का बचपन ऐसे ही माहोल मे पला और बढा है. बहुत खूप ऋचा जी 😊

1 1

Ameya Padmakar Kasture - (29 June 2021) 5
बहुत ही बढ़िया लेख, बचपन की यादें ताजा हो गई

1 1

Seema Puranik - (28 June 2021) 5
एकदम सही "एक एक पल सोने सा था" दरअसल वो समय ही सोने सा था,किमती।बहुत ही सुंदर प्रस्तुती

1 1

Sushma Puranik - (28 June 2021) 5

1 0

मीन करकरे - (28 June 2021) 5
खूप छान 👌👌

1 0

View More