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मानवताकी महक भर आयें..✍️,,

ऐ जिंदगी चल एक बार फिर
मानवताकी महक भर आयें,
किसीका हाथ थाम कर अपने हाथमे,
उसकी अँधेरी जिंदगी में,
उजाले की किरण बन जायें।
ऐ जिंदगी चल एक बार फिर
मानवताकी महक भर आयें,

सूरज बनने की औकात नही,
तो एक दीप ही बन जायें,
पूरी दुनियामे उजाला ना कर सके,
पर किसी गरीब का झोपड़ा ही रोशन कर आयें,
ऐ जिंदगी चल एक बार फिर
मानवताकी महक भर आयें,

गम खीचने की ताकत कहा हममे ?
किसी के आंसू ही बोच आये,
सब के चहरे पर हसी ना भर सके,
पर किसी उदास चहरे को मुस्कुराता कर आयें,
ऐ जिंदगी चल एक बार फिर
मानवताकी महक भर आयें,

सबको ना मिले अपनी मंजिले
फीर भी सबको रास्ता दिखा आये,
अगर हो अँधेरी सुनसान राह किसीकी,
तो उस शख्स का हमसफ़र बन जायें,
ऐ जिंदगी चल एक बार फिर
मानवताकी महक भर आयें,

बहोत करलीए गुनाह मानव बनके,
अब जरा सही में मानव बन जाये,
ओर कुछ हो न हो हमसे पर चल ए जिंदजी,
अपने मानव होने का फर्ज अदा कर आयें,
ऐ जिंदगी चल एक बार फिर
मानवताकी महक भर आयें.

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