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तुम ना बदल पाई

सुबह हुई, फिर रात हुई और तो और बरसात भी हुई,

बस एक तुझसे ना बात हो पाई।

 

तारीख बदली, महीना बदला, साल भी बदला,

बस तेरी मेरी लड़ाई न प्यार में बदल पाई।

 

लोग कहते हैं, बदलते वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है,

फिर तुम क्यों नहीं बदल पाई?

   - भरत रबारी

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