हर दर्द से जुदा...
सुनहरे-से आसमान में
ऊँची उड़ान भरते
इन पंछियों को देख लगता है
उड़ जाए हम भी कहीं दूर......
अपने पंखों को फैलाकर
वहाँ, जहाँ न कोई शोर हो
जहाँ न कोई और हो..
न खोखले उसूल हों
ना ख्वाहिशें फिजूल हों
न मतलबी झूठे चेहरे हों
न प्यार पर सौ पहरे हों
ऊँचे घने पेड़ों के साए में
दुबक कर बैठें सो जाएं हम
एक दूसरे में खो जाएँ हम
हर दर्द से जुदा हो जाएँ हम....
हर दर्द से जुदा हो जाए हम....