फाग
फाग
मतवाली चली हवा
झूमने लगी अमराई
टेसूओ के पेडोपर
फूलो की बहार आई
ओढ़ पीली चुनरिया
वसंत की बेला आई
उठ बैठा फाग झटसे
फाग ने ली अंगड़ाई
खुशबू से महक रही
फूलो लदी अमराई
खेत सज रहे है पहन
गेहूं मकाई की बाली
मतवाले दिल सारे
हो रहे बैचेन फिर से
मिलन प्रियतम का
होगा अब कब कैसे
ऐसे में फाग ने किया
एक अनोखासा काम
बुलाया मतवालो को
खेलने रंगोकी शाम
हरकोई खेल रहा
प्रिय संग रंगोसे
बहाना रंग का, रहे
चिपक अंग अंगोसे
हरा नीला लाल पीला
कितने ही रंग डाले
छूट जायेंगे पल में
यह रंग पानीवाले
कोई छुड़ाकर दिखाए
रंग प्यारवाला है जो
यह फाग निकला बुरा
मोह धागा बुन गया वो
ना होती हवा मतवाली
गर ना लेता अंगड़ाई वो
ना करता फुहार रंगोकी
दिल चुराकर ले गई जो
सौ. अनला बापट
राजकोट