रचना के विवरण हेतु पुनः पीछे जाएँ रिपोर्ट टिप्पणी/समीक्षा

मॉं

मां स्नेहमयी, मां गुरू मां !!

वात्सल्य की प्रतिमूर्ति मां !!

अपना जाया या हो पराया ।

निश्छल प्रेम छलकाती मां !!

स्नेहिल स्पर्श से दुलारती मां !!

आंखों से ना ओझल होने देती !!

प्यार की छांव में रखती मां !!

गले लगाती प्यार जताती !!

मन की थाह पा जाती मां !!

अनकहा भी वो समझ जाती !!

शुभाशीष का संबल देती मां !!

करुणा निधि वात्सल्यमयी मां !!

जग में ईश्वर का प्रतिरूप है

मां ममता करूणा त्याग की त्रिवेणी मां !!

टिप्पणी/समीक्षा


आपकी रेटिंग

blank-star-rating

लेफ़्ट मेन्यु