चला गया कोई
चला गया कोई
दिलमें कसक
अनजाने में जगाकर
चला गया कोई
एक दर्द देकर
खुद बेदर्द होकर
चला गया कोई
खुमार उस मदहोश
शाम का दिलमे बसाकर
चला गया कोई
तन्हाई का कड़वासा
एक दर्द पीलाकर
चला गया कोई|
सहारा जीने का था जो,
बेसहारा मुझे करके
निकल गया कोई,
हमसफर था जो कभी
अकेले रस्तेपर छोड़कर
चला गया कोई|
निशानी देकर प्यार की,
उजड़ी हुई उस बहार की ,
टूटे दिलको और तोड़कर
एक घाव जिंदगीभरका
देकर चला गया कोई |
कभी आँसुओं में मिला वह,
कभी हँसी में छुपा दिया मैंने ,
लम्हा हसीन जिंदगी का मेरा
कोई चुराकर आज चला गया|
सौ. अनला बापट