लोगों का काम है कहना
लोगों का काम है कहना।
राजेंद्र जी अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे एक मेगजी़न पढ़ रहे थे। तभी उनके कानों में बहु की आवाज पड़ी।
" पापा, आज घर पर बहुत सारा काम है। मुझे बाहर जाने के लिए समय नहीं मिल पाएगा इसलिए दुध आप ले आईये।"बहु बोली
" लेकिन बेटा, मैं कैसे? मुझसे तो चला ही नहीं जा रहा है। " राजेंद्र जी कहने लगे
"पापा, बस आगे वाली गली में ही तो जाना है।"
"लेकिन.." राजेंद्र जी कहने लगे
"अरे, मैं चले जाता हूं ना? स्कुटी से अभी ले आता हूं।" राजेंद्र जी आगे बोले उससे पहले ही उनका बेटा विमल बोला
"आप चले जाओगे तो ये सारे बेग तान पर कौन चढवाएगा?" सीमा उन्हे इशारे से मना करते हुए बोली तो वह चुप हो गया।
"ठीक है, बेटा मैं ले आता हूं।" कहकर राजेंद्र जी दुध लेने जाने के लिए निकल गये। रास्ते में उनकी मुलाकात उनके दोस्त नरेन्द्र जी से हुई।
" और बताओ राजेंद्र भाई कैसी तबीयत हैं अब?"
"पहले से तो बहुत आराम है। पर फिर भी चलने की नहीं बनती है।आप कैसे हो?"
"बढ़िया हुं, मेरे हिसाब से तुम्हें घर पर ही आराम करना चाहिए था। ये छोटे मोटे काम तो विमल खुद कर लेता।"
"हां, लेकिन घर में भी कब तक कैद रहुं यार। घर में फालतू बैठना भी अच्छा नहीं लगता है।
"सही बात है।"
"अच्छा फिर मिलते हैं।" कहते हुए राजेंद्र जी उनसे नमस्ते करके डेयरी की ओर बढ़ गये।
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"देख रही है लाजो, कितने बेशर्म बहु-बेटे है ? राजेंद्र जी को मोटापे के कारण चलने में तकलीफ़ हो रही है। वो पहले ही बीमार है और उसके बाद भी घर के काम के लिए इनको बाजार जाना पड़ रहा है।"
"हाँ मां जी, हफ्ते भर से राजेन्द्र अंकल को हम दुध वगैरह लाते हुए देख रहे हैं। जबकि विमल भैया रोज ऑफिस से उसी रास्ते से आते है। इतना ही नहीं घर में तीन तीन गाड़ियां पड़ी है। चाहे तो कोई भी दुध लेने जा सकता था।"
"कलयुग है लाजो, दो तीन नौकर होते हुए बाप को काम बताते हुए शर्म नहीं आती इन बेशर्मों को।"
"संगीता किसके बारे में बातें चली रही है जरा म्हाने भी तो खबर पड़े?" बुढ़ी अम्मा बोली
वो कहीं जा रही थी। जब लाजो और संगीता की बात उनके कानों में पड़ी तो वह पुरी बात जानने के लिए रूक गयी।
"अरे अम्मा, वो सामने राजेंद्र जी रहते है ना? उनकी बात चल रही थी।"
"क्यों क्या हुआ उनको?"
"कुछ नहीं अम्मा, कलयुग है क्या करें? घर में नौकर चाकर होते हुए, गाड़ियां होते हुए भी विमल को दुध लाने में शर्म आती है। अपने पिता को बीमारी की हालत में दुध लेने दौड़ाता है बेशर्म।"
" संगीता, तुम विमल और उसकी पत्नी रिया को ग़लत समझ रही हो। मैं तो कहती हुं कि उनके जैसी संतान हर घर में पैदा हो।"
"बाप पर हुक्म जमाने वाली है औलादें है ना?"
"नहीं, पहले पुरी सच्चाई जान लो संगीता।" कहते हुए बुढ़ी अम्मा उन्हें सच्चाई बताने लगी।
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कुछ दिनों पहले
"देखिए अगर आपके ससुर जी चलना फिरना नहीं करेंगे तो उनका ठीक होना संभव नहीं है। उनके मोटापे के कारण हार्ट पर दबाव बढ़ गया है। शुगर की समस्या तो पहले से ही है। इनका इलाज केवल दवाईयों से नहीं हो सकता। इन्हें रोज थोड़ा बहुत चलना फिरना पड़ेगा।" डाॅक्टर ने कहा
"लेकिन इनके पैरों में हमेशा सूजन रहती है। बाहर तो क्या ये घर में भी नहीं चलते हैं।"
" आप किसी भी तरह से इनका चलना फिरना शुरू करवाईये। नही तो बहुत जल्द ये बिस्तर पकड़ लेंगे। फिलहाल इजाजत दीजिए।"कहते हुए डाॅक्टर बाहर निकल गया।
रिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? उसे अचानक कुछ याद आया वह सीधे बुढ़ी अम्मा के घर पहुंची और उन्हें डाक्टर की कहीं बात बता दी।
" एक तरीका है लेकिन उससे तुम्हारी बुराई होगी। बोल चल जाएगा?" बुढ़ी अम्मा ने पुछा
"हां अम्मा, अपने परिवार के लिए मैं बुरी बनने के लिए तैयार हुं।"
" तो सुन, छोटे-छोटे काम के लिए जैसे दुध लाना, किराने का सामान लाना। ये सब राजेंद्र जी से करवा। वो मना करेंगे लेकिन थोड़ी ज़िद करना। वो मान जाएंगे और उनकी सेहत में सुधार हो जाएगा।"
"ठीक है अम्मा, मैं ऐसा ही करुंगी
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बुढ़ी अम्मा से ये सच्चाई सुन कर संगीता और लाजो को अपनी गलती का एहसास हो गया। उन्हें ये बात समझ आ गई कि बिना सोचे समझे किसी के बारे में गलत नहीं बोलना चाहिए।
बुढ़ी अम्मा जैसे ही पीछे पलटी पीछे राजेंद्र जी खड़े नजर आए। उन्होंने पुरी बात सुन ली थी। उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। उनके हाथों से दुध की थेली छुट गयी थी।
समाप्त