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वह मुस्करा रही थी

वह मुस्करा रही थी। 


उसे हंसना, खेलना अच्छा लगता था। वह बचपन से ऐसी ही खुश मिजाज लड़की थी। उसकी बुआ ने उसका नाम खुशी, शायद इसीलिए रखा होगा। लेकिन वह अपने हंसने के चक्कर में कई दिल तोड़ भी दिया करती थी। इस में भी उसे आंनद ही मिलता था। 


वह बहोत बहोत सुन्दर तो थी ही लेकिन साथ में दिमाग से भी ज्यादा ही तेज थी। और वो इन दोनों का इस्तेमाल अपनी खुशी पाने के लिए बेझिझक करती थी। जाहिर है काफी लोग उससे नाराज हो चुके थे पर इस बात की उसे कोई फिक्र नहीं थी। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति उससे नाराज है या खुश! वह सिर्फ और सिर्फ खुद खुश रहना चाहती थी। 


उसे सबसे ज्यादा मजा लड़कों को छेड़ने में आता था। उसके रूप से आकर्षित होकर कई लड़के उसके इर्द गिर्द घूमते रहते थे। वो उनको गलत संकेत देकर उनको अपने इशारों पर नचाती थी। उसे अपने रूप पर बहोत घमंड हुआ करता था। उसने अपने मोबाईल फोन में उसके इन कथित चारा डालने वाले दोस्तो के नाम कुछ इस तरह से अंकित कर रखे थे, एटीएम रिचार्ज भाई, टिकिट बुकिंग भाई, तरकारी किराना बॉय, फूड डिलिवरी बॉय, फ्री ट्यूशन मास्तर, कॉपी राइटर भाई, बाईक राइड वाला, कार सवारी भाई, बॉडी गार्ड भाई १, बॉडी गार्ड भाई २, बॉडी गार्ड भाई ३, टाईम पास भाई, मूवी टिकिट भाई और इस तरह के कई। वो इन सभी से दिल्लगी करते हुए हल्की छेड़छाड़ करके, थोड़ा सा फ्लर्ट का नाटक करके सबको उम्मीद में रख कर अपना काम निकलवा लेती थी। पर इन सब में एक दोस्त खास भी था जिसका नाम उसके मोबाईल फोन में 'संकट समय चेन' रखा था लेकिन वह उसे भी संक्षिप्त कर 'एसएससी' कहती थी। इस एसएससी के साथ उसका रिश्ता थोड़ा अलग, थोड़ा हटके था। वो खुशी के लिए दिल्लगी या फ्लर्ट नहीं पर एक दोस्त था। 


यह एसएससी, जिसका नाम संतोष था, उसके इस तरह के नौटंकी कार्यक्रमों से भलीभांति परिचित था। वो उसे बहोत मौके पे समझाता रहता था कि वो अग्नि के साथ खिलवाड़ कर रहीं है पर खुशी इस प्रकार की अठखेलियों की आदि हो चुकी थी इसलिए उसे ऐसी नौटंकियों से कोई आपत्ति नहीं थी। 


इस फ्लर्ट काफिले में एक नौजवान जिसे वह बॉडी गार्ड भाई ३ कह कर उसके साथ भावनात्मक खिलवाड़ कर रही थी, वो वाकई में उससे प्यार करने लगा था। उस बॉडी गार्ड भाई ३ का असली नाम जिगर था और वह खुशी की नौटंकियों के लिए सबसे नया वाला शिकार था। उसे खुशी के इस प्रकार के फ्लर्ट वाले स्वरूप के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वो मानता था कि खुशी उससे प्रभावित है। 

जिगर उसीकी साथ पढ़ने वाला एक कॉलेज स्टूडंट था। पर उसे पढ़ाई से पहले अपने स्वास्थ्य एवं शरीर की फिटनेस के लिए अधिक रुचि थी। वह सिक्स पेक एब के व्यायामिक बदन का मालिक था। वो व्यक्तिगत तौर पर फिल्म सितारा टाइगर श्रॉफ से बहोत प्रभावित था। हालांकि कॉलेज लाइफ के दौरान ही आजकल के लोग जीवन साथी ढूंढ लेते हैं इसलिए वो पढ़ाई के दौरान ही जीवन साथी भी तय कर लिया करते हैं। 


कॉलेज में खुशी के दिल्लगी शिकार के अलावा उसकी छेड़छाड़ करने वाले कुछ आवारा लोग भी थे। उनसे पीछा छुड़ाने उसने बॉडी गार्ड भाई १ और बॉडी गार्ड भाई २ पाल रखे थे। पर इस बॉडी गार्ड भाई ३ के पालने के बाद उसे सही ढंग से इन आवारागर्द लोगों से छुटकारा मिल गया था। इस तरह यह बॉडी गार्ड भाई ३ उसके लिए बहोत काम का पिल्लू था।


खुशी सुंदर जुल्फों, चौड़ी लचीली भौहें, मुलायम बालों से भरी पलकें, झील जैसी आंखें, थोड़े फूले हुए गुलाबी गाल, तीखी नाक, अंडाकार चेहरा, लंबी आकर्षक पर सुंदर सुराही समान गर्दन और सुंदर होठों के दाहिने कोने के ऊपर एक बोल्ड तिल एक आकर्षण जोड़ता था, उसके इस मनमोहक चेहरे पर। एक आकर्षक चहरे के साथ साथ उसका बदन भी किसी मॉडल के प्रोफेशनल शेप से कम नहीं था। इस वजह से वो किसी को भी अपनी उंगलियों पर नचाने में कामयाब हो जाती थी।


पर यह जिगर सबसे निराला था। उसको खुशी ने यह अहसास दिलाया कि वह उसकी माचो पर्सनालिटी से बहोत इम्प्रेस हो चुकी है। और उसी में अपना जिवन साथी ढूंढ रही है। तब जिगर उसके प्रति अपनी कृतज्ञता को बदल कर स्वत्वबोधक बन चुका था। वह खुशी पर अपना हक दिखाते हुए उसकी स्थिति पर अंकुश रखते हुए स्वामित्व मालिकाना जताने लगा था। 


शुरू में तो अपने पिछे एक और छात्र पागल हुआ यह समझकर इतराने वाली खुशी आगे चलते घुटन महसूस करने लगी। पर जब तक वह ये समझ पाती, पानी सर के उपर चला गया था। अब यह तो उसके गले ही पड़ गया था। और जब तक वह ये बात समझ पाती तब तक एक अनहोनी भी हो चुकी थी।


उसे इस बात का पता तब चला जब एक लड़की उसे मिलने आई और पूछने लगी, "हमेंशा से एक लड़की ही दूसरी लड़की की दुश्मन क्यों होती है?" वह हड़बड़ाहट की स्थिति में आ गई, "आप हो कौन? मैंने आपका क्या बिगाड़ा है?" जब बातचीत हुई तो पता चला कि वह लड़की जिसका नाम धड़कन था वो जिगर की मंगेतर थी। वह खूबसूरती में खुशी के मुकाबले कमजोर थी पर उनका रिश्ता दोनों के परिवार वालों ने मिल कर तय किया था। जब जिगर को खुशी मिली तो वो धड़कन को तुच्छ समझकर उसे नज़रअंदाज़ करने लगा था। जब उसे अपनी इस बिना किसी ठोस वज़ह की अवहेलना का कारण पता चला तो वह इसे मिलने चली आयी। तब खुशी को अपनी नादानीयत के भयानक अंजाम के बारे में पता चला। 


धड़कन ने बताया कि उसने जिगर से बात की तो उसने साफ साफ कह दिया कि उसे अपने सपनों की रानी मिल चुकी है इसलिए वो अब उससे रिश्ता तोड़ देगा। उसके परिवार वालों ने भी जिगर को समझाने की कोशिश की पर वो उनकी भी उपेक्षा करने लगा था। 


खुशी ने उसे आश्वस्त किया और तुरन्त जिगर को वहां बुला लिया। खुशी ने धड़कन के सामने उसे अपने शौक की सच्चाई बतायी तो वह खुशी से उछल पड़ा। वे दोनों आश्चर्यचकित हो गई। 


जिगर ने धड़कन से कहा, "देखो अपनी संस्कृति! देखो हमारे संस्कार! और कुछ सिखो। एक तुम हो कि अपना हक जताने यहां आ गई। और एक खुशी है जो केवल तुम्हारी बिनती सुनकर अपनी खुशियों का गला घोंटने तैयार हो गई।" फिर वो खुशी की तरफ मुड़ा और कहने लगा, "खुशीजी, आप महान हो। अब मेरे दिल में आपके प्रति इज्जत और बढ़ गई है।" खुशी अपना सर पकड़ कर बैठ गई और धड़कन वहां से रोती हुई चली गई। 


खुशी ने कई करतब आजमाए, कई करामात की पर बात और बिगड़ती चली गयी। अब उसने जबरन अपनी लाइफलाइन, एसएससी को शामिल करने का फैसला किया। वह सारी जानकारी प्राप्त करने के बाद बहोत हंसा, "अच्छा तो बॉडी गार्ड भाई ३, अब भैया से सैंया बनने उतावला हो रहा है!"


खुशी की खुशी गायब थी। वो बोली, "एक मामूली मासूम सी दिल्लगी को वो बेवक़ूफ़ दिल लगाना समज बैठा है। अब उसके सर से ये प्यार का भूत तुम्हें ही उतारना है।"


एक दिन जिगर के जिम में एक नया लडका जॉइन हुआ। वह सीधा जिगर के पास आया और बोला, "हाई, में सेंटी, न्यु जॉइन। क्या आप मेरी सहाय करोगे?" जिगर खुश हुआ, "ओके। पर मैं ही क्यों?"


सेंटी ने कोई औपचारिकता के बिना कहा, "दोस्त, मुजे आपके जैसी बॉडी बनानी है।" जिगर यह सुनकर फूला नहीं समाया, "ओके, में जिगर। रोज सुबह मेरे समय पर मेरे साथ जीम आया करो।" और बात बन गई। 


चार दिनों के बाद सेंटी ने लोहा मान लिया, "इस तरह तो मुजे बॉडी बनाने में सालों निकल जाएंगे। तब तक मेरी मंगेतर को वो उड़ा ले जाएगा।" यह सुनते ही जिगर चौंका तब उसने अपनी कहानी बतायी। दरअसल उसकी मंगेतर किसी बॉडी बिल्डर के प्रति आकर्षित होकर उससे रिश्ता तोड़ना चाहती थी। लेकिन वह उससे बहोत प्यार करता था और इसलिये वह बॉडी बनाने आया जीम आया था। 


यह सुनकर जिगर ने अपने नये मित्र से वादा किया कि वह उसे उसकी मंगेतर दिलाएगा। भला ये भी कोई वजह है रिश्ता तोडने की! 


उसने कहा तुम अपनी मंगेतर के साथ एक मीटिंग लगाओ और तब में वहां अचानक आऊंगा और सब ठीक हो जाएगा। सेंटी ने जिगर का दिल से शुक्रिया अदा किया। 


उसी दिन शाम को सेंटी ने उसे एक नामांकित रेस्टोरेंट में बुलाया। दोनों वहां पहुँच गए पर सेंटी की मंगेतर तब तक नहीं आयी थी। लेकिन वेटर पहुंच गया। सेंटी ने उसे उनके एक खास दोस्त के आने तक इन्तेज़ार करने की बिनती की। अक्सर वहां कालेज के छात्रों की तरफ से ऐसी रिक्वेस्ट आती रहती थी इसलिए वो मुस्कराते हुए वहां से चला गया। 


नर्वस सेंटी को जिगर ने फिर एक बार आश्वस्त किया कि चाहे दुनिया यहां की वहां हो जाए पर वह उसे उसकी मंगेतर वापस दिलाएगा और उसका जो भी बॉडी बिल्डर यार है उसे वह 'सम्भाल' लेगा। 


कुछ देर में वहां सेंटी की मंगेतर आयी तो जिगर के होश उड़ गये। वह मानो पुतला सा बन गया। क्योंकि सेंटी की मंगेतर और कोई नहीं पर खुशी ही थी। खुशी भी उसे देखकर चौंक पडी, "जिगर! तुम…! यहां!"


सेंटी ने भोलेपन से कहा, "जिगर, मेरे दोस्त! यही है मेरी मंगेतर।" जिगर  चारो खाने चित्त हो गया। वो बड़ा दुखी होकर, ह्रदय पर पहाड सी शीला रख कर बोला, "दोस्त, आज के बाद तेरी मंगेतर को किसीसे कोई खतरा नहीं है।" वह नम पलकों के साथ वहां से चला गया। 


जैसे ही वो वहां से चला गया, खुशी मुस्कराते हुए बोली, "एसएससी, तुम फिर एक बार मेरे लिए एसएससी साबित हो गए।" उसने धड़कन को कोल करके बता दिया कि तेरा पहलवान आ रहा है टूटे हुए दिल के साथ, उसे 'सम्भाल' लेना।


अब खुशी मुस्कराते हुए बोली, "एसएससी, अब वेटर के आने से पहले यहां से चलें?" लेकिन उसकी अपेक्षा से विपरित संतोष ने आज उसे हाथ पकडकर बैठने को कहा। वो आश्चर्यचकित हो उठी। तब संतोष ने कहा, "खुशी, अब ये सब नौटंकी बंध करो। अब ये तमाशे, ये दिल्लगी, ये सब कुछ बंध करने का समय आ गया है।"


वो चौंक उठी, "मतलब?"


संतोष आज गंभीर होकर अपनी दिली भावना व्यक्त करने लगा, "मतलब, अब जिगर मेरा जिगरी दोस्त बन गया है। उसने ना सिर्फ मेरी सहायता की बल्कि उसने अपने क्रश को, मेरी दोस्ती और अपने वादे की वजह से, छोड़ने की हिम्मत भी दिखाई। कारण, वो अपने दोस्त की मंगेतर की इज्जत करना जानता है। अब ऐसे बेहतरीन दोस्त के सामने में जूठा साबित होना पसंद नहीं करूंगा, समझी!"


खुशी सोच मैं पड़ गई लेकिन उसने थोड़ी देर बाद धीरे से पूछा, "मतलब, तुम मुजे प्रपोज कर रहे हो?"


संतोष बिल्कुल शांत और निर्मल आनंद सह बोला, "हां। आज से तुम मेरी मंगेतर हो। समझी!" इतना कहकर उसने खुशी की आँखों में झाँककर देखा तो…


वह मुस्करा रही थी।


(समाप्त।)

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