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चंद्रिका का चंद्रमा का साहित्य अकादमी द्वारा कथा संग्रह में चयन

नागेश शेवालकर की बाल कहानी का साहित्य अकादमी राजस्थान संस्था की ओर से चयन!

हैदराबाद- पं.जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी, राजस्थान इस संस्था के आगामी ग्रंथ 'लोक का आलोक' के लिए देशभर से बालकथाकारों की ओर से 'विज्ञान कथाएं, सम्बन्धोंकी मिठास , खण्ड खण्ड पाखण्ड, उड़ते हौसले, पुराणों से निकले बुद्धिमान बच्चे' इन खंण्डों के लिए बाल कहानियां आमंत्रित की गई थी। प्राप्त हुई कहानियों में से एक सौ अट्ठावन कहानियों का चयन हुआ है। चयनित कथाकारों में लेखक नागेश शेवालकर द्वारा लिखित 'चंद्रिका का चंद्रमा' इस कहानी का चयन हुआ है। यह घोषणा समिती सचिव श्री राजेन्द्र मोहन शर्मा ने फेसबुकपटल पर की है। श्री शर्मा ने आगे बताया की, चयनित कहानियों के पांच खण्ड जल्दी ही एक भव्य प्रकाशन कार्यक्रम में प्रकाशित होंगे। इस समारोह में चयनित कथाकारों का सम्मान एवं सत्कार किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि, श्री जाकिर अली रजनीश, श्री संदीप मील, उमा, सुश्री तसनीम सिद्दीकी इन परीक्षकों ने कथाओं का चयन किया है।
इस अवसर पर शेवालकर ने कहा, पं. जवाहरलाल नेहरू बालसाहित्य अकादमी, राजस्थान जैसे एक अग्रगण्य संस्था की ओर से मेरी कहानी का चुनाव होना यह मेरे लिए बड़ी गौरव की बात है। मैं संस्था अध्यक्ष श्री इकराम राजस्थानी, उपाध्यक्ष श्री बुलाकी शर्मा आणि सचिव श्री राजेन्द्र शर्मा साथही विज्ञान कथा विभाग के परीक्षक श्री जाकिर अली रजनीश जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। पुरस्कार प्राप्त कहानी के संबंध में बताते हुए शेवालकर ने कहा, इस कथा की नायिका चंद्रिका प्राथमिक पाठशाला की छात्रा है, वह एक समारोह में कहती हैं, गर्मियों के दिनों में उष्णता से छुटकारा पाने के लिए हमें चॉंद की शीतलता का उपयोग करना चाहिए, जैसे हम सूरज की किरणों से प्राप्त उष्णता के सहायता से बिजली प्राप्त करते हैं। एक ऐसा नया विचार इस कहानी में लिखा है। मेरे इस प्रयास को बाल-साहित्य अकादमी राजस्थान की ओर से गौरवान्वित किया गया यह मेरे लिए बड़ी आनंद की बात है।
नागेश शेवालकर को प्राप्त इस सम्मान के लिए उनका अभिनंदन हो रहा है।
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