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रक्षा बंधन

रवि मां बाप की इकलौती संतान थी। अतः हर रक्षाबंधन पर मायूस होकर बैठ जाता।
उसकी मांभी इकलौती थी और कृष्ण भगवान को राखी बांधती थी।
जब रवि छोटा था हरबार मां कहती, देख बेटा किसी दिन तुझे मामा के घर से उनकी बिटिया की राखी जरूर आएगी। छुटपन से सुनी हुई इस बात पर अब रवि का विश्वास नहीं रहा था ,पर आज अचानक पोस्ट से एक पार्सल आया उसके नाम। पोस्ट वाले ने बड़ा डिब्बा देखते हुए कहा,"राखी का उपहार आया है आपका, कुछ नेग हमे भी से दो भैया।"
उसकी यह बात सुनकर खुश होते हुए रवि ने उसे 100 रूपिए बक्षीस के तौर पर दे दिए।
फिर बक्सा उलट पलट कर देखा। देखा की नीचे नाम में राखी लिखा था।
बात में उसने वह खोला,अंदर एनिमा लेने का पॉट!
उसका दिला भर आया, उसने मम्मी को फोन लगाया, बोला ," कृष्ण मामा ने मेरे साथ मजाक किया है।"
मां बोली "कैसे?"
रवि ने पूरा वाकया बताया, इसपर मां बोली,अरे पगले वो तो मैने भेजा था।"
" पर इसपर तो किसी राखी का नाम लिखा है।
"और हां बेटा, ऑर्डर से भेजने वाली वही तो है। तेरी राखी तो आयेगी एक दिन जरूर।""
रवि सिर पीटता रहा गया राखी तो मिली ही नहीं बल्कि पैसा भी चला गया। और उपरसे यह एनिमा का पॉट !
©सौ. अनला बापट

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