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वो डरावनी रात

वो डरावनी रात


राजीव ट्रेन में आकर अपनी सीट पर बैठ गया। उसने ट्रेन में बैठते ही अपने फ्रेंड को कॉल लगा दिया।


राजीव ने कॉल कनेक्ट होते ही कहा, “गोविंद भाई, मैं ट्रेन में बैठ गया हूँ। रात को लगभग ग्यारह बजे प्रयागराज पहुँच जाऊँगा।”


दूसरी ओर से कहा गया, “ओके, मैं तुझे स्टेशन पर लेने आ जाऊँगा। चल बाय, मिलते हैं रात को।”


“ओके बाय।” कहकर राजीव ने कॉल कट कर दिया।


तभी उसके सामने बैठी बुजुर्ग लेडी ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, तुम भी प्रयागराज जा रहे हो। चलो अच्छा है, तुमसे बातें करते हुए मेरा भी समय कट जाएगा।”


राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा आंटी जी, मतलब आप भी प्रयागराज जा रही हो?”


महिला ने धीरे से कहा, “हाँ बेटा, मेरी बेटी के परिवार में कुछ प्रोग्राम है, बस उसी में सम्मिलित होने के लिए जा रही हूँ। और तुम?”


राजीव ने धीरे से कहा, “वो.. वो मैं नौकरी के सिलसिले में जा रहा हूँ। मैं यहाँ पर गुप्ता इंडस्ट्री में काम करता था। वो कंपनी अब किसी दूसरी कंपनी ने हैंड ओवर कर ली है इसलिए सभी कर्मचारियों को एक महीने की एक्स्ट्रा सैलेरी देकर काम से निकाल दिया गया है। मैंने यहाँ पर नौकरी के लिए बहुत कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया।”


यह सुन उस बुजुर्ग महिला ने धीरे से कहा, “लेकिन बेटा, प्रयागराज में तो ऐसी कोई बड़ी इंडस्ट्रीज नहीं हैं, जहाँ पर जाते ही तुम्हें नौकरी मिल जाएगी।”


राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ आंटी, लेकिन वहाँ मेरा एक फ्रेंड रहता है, उसी ने मेरे लिए वहाँ कोई नौकरी देखी है, बस इसीलिए वहाँ जा रहा हूँ।”


उस बुजुर्ग लेडी ने धीरे से कहा, “अच्छा, फिर बढ़िया है, भगवान करे तुम्हारी नौकरी किसी अच्छी जगह लग जाए!”


इसी तरह बातचीत करते हुए वो दोनों अपना टाइम पास कर रहे थे।


ये लगभग छः घंटे का सफर था। जब वो बुजुर्ग महिला आँखें बंद करके लेट गई, तब राजीव ने थोड़ी बहुत देर अपने मोबाइल में वीडियो वगैरह देखे फिर उसने भी मोबाइल पॉकेट में रखकर आँखें बंद कर लीं। थोड़ी देर में उसे भी नींद आ गई।


जब उसकी नींद खुली तो उसे अपने सामने कोई स्टेशन नजर आया, लेकिन उस स्टेशन पर एक भी यात्री नजर नहीं आ रहा था।


राजीव ने पानी पीने के लिए अपनी बोतल उठाई लेकिन वो खाली थी। उसने स्टेशन पर नजर डाली, उस स्टेशन पर उसे एक भी दूकानदार नजर नहीं आ रहा था।


उसने मन ही मन‌ कहा, “यहाँ इस स्टेशन पर इतना सन्नाटा क्यों है? यहाँ ना तो कोई दूकान दिखाई दे रही है और ना ही कोई यात्री।”


तभी उसे वहाँ सामने एक सार्वजनिक नल दिखाई दिया। उसे प्यास लग रही थी, इसलिए वो बॉटल भरने के लिए ट्रेन से बाहर निकलने लगा।


उसी समय उस बुजुर्ग महिला की नींद खुल गई। उसने जैसे ही उस स्टेशन के बोर्ड पर नजर डाली तो वो हैरान रह गयी।


उसने राजीव को बाहर जाते देखा तो उसे रोकते हुए कहा, “बेटा, वो.. वो नीचे मत…”


राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा, “आंटी जी, मैं बस बोतल भरके आ रहा हूँ।”


यह सब सुन सभी लोग उसकी तरफ हैरानी से देखने लगे।


एक आदमी ने राजीव को समझाते हुए कहा, “भाई ये.. ये… नैनी स्टेशन है। यहाँ पर उतरना मना है।”


बुजुर्ग महिला ने भी उसे रोकते हुए कहा, “हाँ बेटा, इस स्टेशन के बारे में कहा जाता है कि यहाँ पर भूतों का बसेरा है।”


यह सुन राजीव जोर-जोर से हँसने लगा। उसने हँसते हुए कहा, “अरे अंकल! भूत वूत कुछ नहीं होते, ये सब अंधविश्वास है। और आपको भी डराने के लिए मैं ही नजर आया। मैं अभी बोतल भर कर आ रहा हूँ, देखता हूँ कौन‌-सा भूत मेरे सामने आता है।”


कह कर वो ट्रेन से बाहर निकलने लगा। वहीं वो महिला उसे रोकने की कोशिश करने लगी।


राजीव ने ट्रेन से उतरकर सार्वजनिक नल के नीचे अपनी बॉटल लगा दी।


तभी अचानक नल से पानी की जगह ख़ून निकलने लगा। यह देखते ही वो शॉक्ड रह गया।


उसने ट्रेन की तरफ भागने की कोशिश की, लेकिन उसके पैर उठ ही नहीं रहे थे। उसे ऐसा लग रहा था, जैसे किसी ने उसके पैरों को कसकर जकड़ लिया हो।


राजीव बुरी तरह घबरा गया था। वहीं ट्रेन के अंदर से वो महिला और आदमी उसी की तरफ देख रहे थे।


महिला ने घबराते हुए कहा, “बेटा, मैं.. मैं तुम्हे इसीलिए कह रही थी, लेकिन आजकल के बच्चे इन बातों पर बिल्कुल भरोसा नहीं करते।”


तभी ट्रेन वापस बढ़ने लगी, राजीव अपने पैर छुड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन वो कामयाब नहीं हो पा रहा था। तब तक ट्रेन वहाँ से जा चुकी थी।


तभी राजीव को उसके पीछे से एक मधुर आवाज सुनाई दी।


“तुम.. तुम कौन हो? और यहाँ क्या कर रहे हो? क्या तुम्हें पता नहीं है कि यहाँ…”


इससे पहले कि उस लड़की की बात खत्म हो, राजीव ने बीच में टोकते हुए कहा, “वो.. वो.. मैं बॉटल भरने, पानी… में ख़ून…”


इस तरह राजीव हड़बड़ाहट में जाने क्या-क्या कहने लगा। तभी उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा, “सुनो, घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मैं सब समझ गयी, तुम यही कहना चाहते हो ना कि तुम प्रयागराज जाना चाहते हो और यहाँ आकर फंस गए?”


राजीव ने जल्दी से हाँ में सिर हिला दिया। राजीव ने उस लड़की के चेहरे पर नजर डाली।


उस लड़की के तीखे नैन-नक्श और चेहरे की मुस्कान देख राजीव उसे देखता ही रह गया। उसे ऐसा लग रहा था, जैसे ऊपर वाले ने उसके लिए किसी स्वर्ग की अप्सरा को भेज दिया हो।


उस लड़की ने राजीव को अपनी तरफ एकटक देखते देखा तो उसने मुस्कुराते हुए कहा, “ चलो मेरे साथ, मैं तुम्हें प्रयागराज तक छोड़ दूँगी।” कहकर वो लड़की राजीव का हाथ पकड़कर आगे बढ़ गई।


उस लड़की ने जैसे ही राजीव का हाथ थामा, राजीव को उसके पैरों पर जो पकड़ महसूस हो रही थी, वो बंद हो गई। वो बिना कुछ बोले उस लड़की के साथ आगे बढ़ने लगा।


तभी उसे कुछ दूरी पर किसी लेडी के चीखने की आवाज सुनाई दी। उसने उस लड़की की तरफ देखते हुए कहा, “ये..ये कैसी आवाज थी?”


उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा, “ये तो यहाँ पर रोज का ही काम है। तुम इन आवाजों पर ध्यान मत दो। यहाँ पर बहुत सी बुरी शक्तियाँ हैं, अगर तुमसे जरा सी भी गलती हुई, तो तुम यहाँ बुरी तरह फंस जाओगे।”


राजीव ने हैरान होते हुए पूछा, “तुम्हें ये सब कैसे पता है? और जब यहाँ इतना खतरा है, तो तुम यहाँ क्या कर रही थी?”


उस लड़की ने धीरे से कहा, “मैं यहीं पर रहती हूँ इसलिए मुझे यहाँ के बारे में सबकुछ पता है।”


यह सुन राजीव बिना कुछ बोले उसके पीछे-पीछे चलने लगा।


तभी उन दोनों के पीछे एक गुर्राहट उभरी,


“हाहाहाहाहा, आज तो मजा आएगा, हमको इस लड़के का ताजा मीट खाने को मिलेगा।”


यह सुनते ही राजीव शॉक्ड रह गया। वहीं उस लड़की ने पीछे की तरफ पलटकर चिल्लाते हुए कहा, “मेजर, अपनी औकात में रहो। ये हमारे मेहमान है। हमारे रहते तुम इसे हाथ तक नहीं लगा सकते।”


यह सुन मेजर जोर-जोर से हँसने लगा। राजीव ने धीरे से पीछे पलटकर देखा। सामने नजर आए नज़ारे को देख वो हैरान रह गया।


उस मेजर के शरीर पर बिल्कुल भी मांस नहीं था। वो सिर्फ हड्डियों का ढाँचा था, जिसने ब्रिटिश सेना की ड्रेस पहन रखी थी।


यह देख उसका दिमाग चकरा गया। फिर उसने अपने दाईं तरफ खड़ी लड़की की तरफ देखा।


थोड़ी देर पहले जो लड़की स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी, वो एक हड्डियों के ढांचे में तब्दील हो चुकी थी। उस लड़की के चेहरे की तरफ नजर डालते ही राजीव बेहोश होकर गिर पड़ा।


जब राजीव की आँखें खुलीं, तब वो सिविल हॉस्पिटल के बेड पर लेटा हुआ था। उसके पास वाली चेयर पर उसका फ्रेंड गोविंद बैठा था।


राजीव ने बड़बड़ाते हुए कहा, “गोविंद, वो… वो भूतनी और वो भूत…”


गोविन्द ने उसे संभालते हुए कहा, “रिलेक्स राजीव भाई, घबराने की कोई जरूरत नहीं है, तुम सेफ हो। यहाँ कोई भूत वूत नहीं है।”


राजीव ने धीरे से कहा, “वो रात को मैं नैनी स्टेशन पर उतर गया था, तो वहाँ पर मैंने भूत देखे।”


गोविन्द ने मुस्कुराते हुए कहा, “राजीव भाई, लेकिन तुम्हें वहाँ पर उतरने की जरूरत ही क्या थी? जब उस बुजुर्ग महिला ने तुम्हें पहले ही समझा दिया था, तो तुम्हें हीरो बनने की क्या जरूरत थी!”


राजीव ने हैरान होते हुए कहा, “गोविंद, ये सब तुम्हें कैसे पता?”


गोविन्द ने धीरे से कहा, “मैं तुम्हें लेने स्टेशन पहुँचा था। तभी उस बुजुर्ग महिला ने मुझे तुम्हारे बारे में बताया। बस इसीलिए मैं रात को ही तुम्हें लेने के लिए बाइक से नैनी की तरफ बढ़ गया। तुम मुझे प्रयागराज की सीमा पर बेहोश मिले थे।”


राजीव ने हैरान होते हुए पूछा, “क्या.. क्या तुमने भी उस लड़की और मेजर को देखा?”


गोविन्द ने ना में सर हिलाते हुए कहा, “नहीं यार, लेकिन मैं एक बार उस लड़की से मिलना चाहता हूँ।”


यह सुन राजीव ने हैरान‌ होते हुए कहा, “ऐसा क्यों? क्या उस भूतनी को गर्लफ्रेंड बनाने का प्लान‌ है?”


गोविन्द ने सीरियस होते हुए कहा, “नहीं, मैं बस उसे एक बार हम सभी देशवासियों की तरफ से थैंक यू कहना चाहता हूँ। तुम बहुत खुशनसीब हो जो तुमने उस शख्सियत के दर्शन किये, जिसके चर्चे ब्रिटिश हुकूमत के समय जगह-जगह फैले हुए थे।”


यह सुन‌ राजीव हैरान होकर गोविंद की तरफ देख रहा था।


गोविन्द ने धीरे से कहा, “राजीव, जिस लड़की का तुम ज़िक्र कर रहे हो, वो एक फ़्रीडम फाइटर थी, उसने पूरी रणनीति बनाकर अपने साथियों के साथ नैनी स्टेशन पर खड़ी ब्रिटिश सेना पर हमला कर दिया था। उस हमले में एक भी सैनिक जिंदा नहीं बचा लेकिन उसी हमले में ये देशभक्त शहीद हो गयीं।”


राजीव गोविंद की पूरी बात बड़े ध्यान से सुन रहा था। उसने सकपकाते हुए कहा, “मतलब, वो लड़की एक फ़्रीडम फाइटर थी, तभी उसने मेरी हेल्प की थी।”


गोविन्द ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ, अगर उस समय वो वहाँ हेल्प के लिए नहीं पहुँचती, तो तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता था।”


यह सुन राजीव रात की पूरी घटना को फिर से याद करने लगा। उस लड़की की तस्वीर तो वैसे भी उसके दिल में छप चुकी थी।

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