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बिग बी : अलौकिक व्यक्तित्व

    बिग बी : अलौकिक व्यक्तित्व!

         उस दिन सिनेमा की शुटिंग चल रही थी। अचानक उस फिल्म में काम करनेवाले नायक को भारी बड़ी चोट लग गई। ज़ख्म बड़ा गहरा होने कि वजह से उनके परिवार जन, परिचित, रिश्तेदार, दोस्त और उन्हें बड़े पैमाने पर चाहने लोग दुख में डूबे हुए थे। डॉक्टरों की टीम भरकस प्रयत्न कर रही थी। वह सब परिस्थिति देखते हुए जगत के जाने-माने एक व्यंग्यकार चित्रकार ने सीधे-सीधे यमदूत को चेतावनी देने वाला एक व्यंगचित्र का निर्माण किया। यमदूत का चित्र निकालते हुए नीचे लिखा,

      "खबरदार! अगर ब्रीच कैंडी अस्पताल के आसपास भी नजर आएं तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे। 

      ब्रीच कैंडी अस्पताल में मृत्यु से लड़ रहे उस महानायक का नाम था… अमिताभ बच्चन! कुली सिनेमा की शुटिंग चलते बच्चन जी बूरी तरह से घायल हुए थे। अमिताभ बच्चन के लिए यमदूत से टकराने वाले व्यंगचित्रकार थे… हिंदु हृदय सम्राट बालासाहब ठाकरे!

        अमिताभ बच्चन यह हिन्दी चित्रपट सृष्टी, बॉलीवुड, हॉलीवुड का सब से बड़ा नाम! 11 अक्टुबर 1942 के दिन प्रयागराज नगरी में सुप्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन के परिवार में जन्मे बालक का नाम  अमिताभ रखा गया। अमिताभ इस शब्द का अर्थ 'शाश्वत प्रकाश' जैसे होता हैं। जब हम अमिताभ जी का फिल्मों का और सामाजिक यात्रा या कर्तृत्व देखते हैं तो लगता है कि, बच्चन जी ने हर समय स्वयं को सिद्ध किया है।

      बच्चन को 'सात हिंदुस्थानी' सिनेमा में सर्व प्रथम अपना अभिनय दिखाने का अवसर मिला। इस पहली फिल्म में उन्हें नए कलाकार को मिलने वाला सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार  मिल गया और  अमिताभजी हिन्दी चित्रपट सृष्टि में छा गए। देखते देखते वे चित्रपट नगरी के बादशहा बन गए। लेकिन यह सफलता उन्हें आसानी से प्राप्त नहीं हुई। अपरिमित कष्ट, साहस, संयम आत्मविश्वास, इच्छा शक्ती आदि बहुत सारे गुणों के कारण उन्होंने आज का यह मुकाम हासिल किया है। जब हम कोई काम निष्ठा, इमानदारी से करते हैं तो सफलता तो कदम चुमने के लिए बेताब होती है। साथ ही बड़े-बड़े पुरस्कार ढुंढते हुए आते हैं। बच्चन जी उनके प्रशंसनीय भूमिका एवं कार्य के लिए पद्मभूषण, पद्मश्री, दादासाहेब फालके पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, सीएनएन-आयबीन इंडियन ऑफ द इयर आदी सम्मानों से गौरवान्वित हुए हैं। 

         अमिताभ जी के जीवन संगिनी का नाम जया भादुरी-बच्चन है। जो स्वयं एक बड़ी अभिनेत्री और राजनीतिक है। एक इंटरव्यू के चलते स्वयं अमिताभ बच्चन ने उनकी शादी के बारे में बताया था, अमिताभ और जया फिल्मों में साथ-साथ किरदार निभा रहे थे। दोनों एक-दूसरे के जानने पहचानने लगे, इस दौरान दोनों के दिलों में एक दूसरे के लिए प्यार की भावनाएं पनपने लगी, लेकिन कोई भी इसका उल्लेख नहीं कर रहा था। लेकिन जब 'जंजीर' सिनेमा की शुटिंग चल रही थी, तब दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। इस के पीछे एक वजह थी कि, दोनों को लंडन शहर देखने कि इच्छा थी। जंजीर को अपरंपार ख्याति प्राप्त हुई। अमिताभ ने पहली बार पिताजी से कहा कि वे छुटियां मनाने लंडन जा रहे हैं और साथ में जया को लेकर जा रहे हैं। हरिवंश राय बच्चन जी ने कहा, अगर दोनों को साथ जाना है तो शादी करके जाना चाहिए। पिताजी की आज्ञा सर ऑंखो पर इस तरह अमिताभ- जया की शादी हुई और दोनों खुशी खुशी लंडन पहुंच गए।

      ढेर सारे सिनेमा में भूमिका निभाने वाले बच्चन देश-विदेशों में पहचाने जाते हैं, उनके प्रशंसक सब देशों में है। उनके एक सिनेमा का नाम उनकी लोकप्रियता को बयां करता है… शोले। जय और वीरू इस

 दोस्ती में बच्चन की भूमिका काफी अहम है। खास बात यह है कि, 1975 को प्रदर्शित हुई इस फिल्म ने मानो क्रांति कि थी, इतिहास रचा था। धर्मेंद्र, हेमामालिनी, संजीव कुमार, जया भादुरी और गब्बर सिंग अर्थात् अमजद खान जैसे दिग्गज कलाकारों की सर्वश्रेष्ठ कला का यह सिनेमा लगभग दो सौ मिनटों का था। 

     शोले सिनेमा में बच्चन ने केवल गब्बर सिंह जैसे डाकू के साथ मुकाबला नहीं किया,‌ बल्कि अनेक कलाओं को प्रस्तुत किया। जब जय-वीरु दोनों पहली बार ठाकुर के गॉंव पहुंचते हैं तो उन्हें बसंती का टांगा मिल जाता है। चुलबुली बसंती के गपशप से तंग आनेवाला जय, ठाकुर के विधवा बहू के नज़दीक जाने कि कोशिश करने वाला जय, होली के दिन जब गब्बर बस्ती पे हमला करता है तो जान कि परवाह न करते हुए दोस्त वीरू के साथ डाकुओं को भीड़ने वाला जय, मंदिर में मुर्ति के पीछे छिपकर बसंती से बातचीत करनेवाले वीरू का झुठ बसंती के सामने लानेवाला जय, वीरू के लिए बसंती का हाथ मांगने बसंती के मौसी के सामने जाकर बातचित करते हुए वीरू के दुर्गुणों कि मासूमता से चर्चा करने वाला जय, वीरू के साथ-साथ बसंती को गब्बर सिंह ने पकडा है, यह समझते ही पलभर कि देरी न करते हुए गब्बर के अड्डे पर जाने वाला जय और साथ में उसके पास जो सिक्का रहता है, उस सिक्के का रहस्य जब सामने आता है तो केवल वीरू अकेला रोता नहीं तो सिनेमा गृह में उपस्थित सारे रसिकों की ऑंखें भर आती है, यह ताकद है हमारे लाडले बच्चन की।

        ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे

       तोड़ेंगे दम मगर

       तेरा साथ ना छोडेंगे… 

    ऐसे कहते-कहते जान से प्यारे दोस्त को बचाने के लिए सिक्का उछालकर स्वयं मृत्यु के आगोश में जानेवाला जय को रसिक सैल्यूट करतें है और आज भी अस्सी साल की उम्र होने के बावजूद चाहने वालों के प्यार में कोई कमी नहीं आई है, बल्कि दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। जब हम बच्चन जी की फिल्में और उनकी लोकप्रिय गानों कि चर्चा करते हैं तो लगता है, एक अलग बड़ा लेख होकर रहेगा।

        जब सामाजिक कार्यों कि चर्चा चलती है तो अमिताभ वहां भी अग्रसर है। संकटों में फंसे किसानों के लिए उन्होंने बहुत सारी मदद कि है। कोच्चि स्थित रेसुल पुकुट्टी संस्था को आर्थिक सहायता, पुलिस परिवार को मदद,  हरिवंशराय बच्चन मेमोरियल ट्रस्ट के माध्यम से सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के द्वारा लगभग तीन हजार परिवारों को लाभ, पोलियो अभियान, युनिसेफ और डब्ल्यूएचओ सद्भावना राजदूत, महाराष्ट्र पुलिस निधी, करोना संकट काल में आर्थिक सहायता जैसे अनेक कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर अपनी अहम भूमिका निभाई है।

      ऐसे महानायक, सामाजिक कार्यकर्ता और कई भूमिका सशक्ता से निभाने वाले बिग बी… अमिताभ हरिवंशराय बच्चन को इस साल का अत्यंत महत्वपूर्ण 'लता दिनानाथ मंगेशकर' पुरस्कार से 24 अप्रैल 2024 को सम्मानित किया जा रहा है। बहुत बहुत बधाई .. 

                ००००

       

          नागेश शेवालकर, पुणे 

          (९४२३१३९०७१)

 

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