अटलजी तुम मौन हुए
अटलजी तुम मौन रहे!
बाधाएँ आती रही,
विपदाएँ मार्ग रोकतीं रही,
विरोधी भ्रमित करते रहे,
अटलजी फिरभी मौन रहे।
युद्ध बेलामे दुश्मन सीना तान रहे,
तब भी कृष्ण बन तुम,
शांति वार्ता को तत्पर रहे,
कर शकते थे संहार दुश्मनों का,
अटलजी फिरभी मौन रहे।
हँसी उड़ाई कभी विपक्ष ने,
उँगली उठाई कुछ ग़द्दारोने,
सवाल कर रहे थे द्रोही,
तब भी अटलजी तुम मौन रहे।
विदेशी ताकतें थी सामने,
अट्हास शत्रु सेना का,
मौन तोड़ा था तुमने तब,
पोखरण दृश्य देखा विश्वने,
अटलजी तुम अब मौन नहीं रहे।
युद्धमे शहीद पूतों को,
कब घरको लाते थे?
युद्ध सीमा पर ही उनके,
अंतिम संस्कार होते थे,
अटलजी तुम तब भी मौन नही रहे।
शहीदों को घर पर लाये थे,
माँ - बेटियोंने आंसू बहाये थे,
पिताका सीना चौड़ा हुआ,
गर्व से मस्तक उन्नत था,
अटलजी तुम तब भी मौन नही रहे।
अपने ज्वलित शब्दोंसे,
जोश युवओंमे जगाया था,
सिमा पर गर्वसे तब,
तिरंगा लहराया था,
अटलजी तुम तब भी मौन नहीं रहे।
पर आज अजातशत्रु तुम नहीं रहे,
तिरंगे का हर रंग रोया था,
हर आँखों मे अश्रुधारा थी,
देश का कोना कोना मायूस था,
अटलजी तुम आज नितांत मौन रहे।
अटलजी तुम अब नही रहे?