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प्रथम पृष्ठ -अजनबियों का लाइफस्टाइल

कोलेज की केन्टिन में एक कोने में बैठकर वह रो रही थी। उसको समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ हमेशा ऐसा क्यों होता है? 

 

"रचना! तु यहां बैठी हुई है? और मैं कबसे तुझे पूरे केम्पस में ढूंढ रही हूं। क्या कर रही है?" उसकी बेस्ट फ्रेंड नीरजा ने उसे देखते ही चिल्ला दिया। 

 

रचना अपने ख्यालों में खोई हुई थी। उसे यह समज नहीं आ रहा था कि उसको हर बार अलग-अलग कारणों से गम क्यों मिलता है? आखिर वह एसी क्या गलती कर रही थी?

 

रचनाने नीला सूट पहना हुआ था। उसका बनारसी नारंगी दुपट्टा उसके गले में इतनी सफाई से लटका हुआ था कि मानो किसी ने स्त्री करके वहां पर लटकाया हो। रचना की गहरी आंखें कुछ सोच में डूबी हुई थी। उसे पता ही नहीं चला कि कब नीरजा आई और उसने कुछ कहा।

उसकी आंखों से टपक रहे हैं आंसू जैसे ही नीरजाने देखा वह दौड़ कर उसके पास गई। और लगभग चिल्लाकर बोल पड़ी,

 

" रचना तू रो रही है? क्या हुआ? किसी ने कुछ कहा क्या? तन्वी से झगड़ा हुआ क्या? तुषार ने कुछ कहा?"

 

तुषार का नाम सुनते ही रचना सुनमुन सी हो गई। अपनी किस्मत पर भरोसा ना हो कर उसे तुषार पर ज्यादा भरोसा था।

 

वैसे तो रचना को बार-बार प्यार हो जाता था और बार-बार उसका ब्रेकअप हो जाता था। तुषार के साथ उसका बोंड इतना अच्छा बन गया था कि सब को लग रहा था कि यह लगाव जिंदगी भर का लगाव बन जाएगा। पर हाय रे! किस्मत! पूरे 2 साल की रिलेशनशिप के बाद आज तुषार ने भी उसको खरी-खोटी सुनाई थी। और वह भी किस वजह से? सिर्फ इसी वजह से उसने तन्वी से बात करते हुए तुषार का फोन काटा था।

 

"अगर तुम्हारे लिए मैं प्रेफरेंस में ही नहीं तो फिर क्यों ना हम दोनों अलग हो जाएं?" तुषार से यह शब्द सुनकर ही उसका तो दिल बैठ गया था।

 

उसने तुषार को मनाने की बहुत कोशिश की थी।

 

"नहीं तुषार तुम मेरे लिए सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट हो। पर क्युकी कॉलेज का प्रोजेक्ट खत्म करना था तो हम वह डिस्कस कर रहे थे इसलिए मैंने तुम्हारा फोन काटा। आई एम सॉरी। अब ऐसी गलती नहीं करूंगी।"रचना ने तुषार का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा था।

 

पर तुषारने एक ही झटके से उसका हाथ झटक लिया था।

"तुम ना एक काम करो। तुम्हें मेरे साथ रिलेशन में रहने की कोई जरूरत नहीं। अपने कॉलेज के प्रोजेक्ट खत्म करो। वही तुम्हारा प्रेफरेंस है। और आज के बाद गलती से भी मुझे कॉल करने की कोशिश मत करना। "तुषार ने गुस्से में कहा था।

 

उसकी आंखों में फिर से आंसू आ गए। उसने आंसू भरी नजरों से नीरजा की तरफ देखा।

 

"तुषार मुझे छोड़ना चाहता है। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?" उसने नीरजा को फरियाद सुनाई।

 

तभी वहां पर तन्वी भी आई।

 

"क्या बातें हो रही है? कोई गोसिप है क्या?" तन्वी ने आते ही अपनी बैग रचना के टेबल पर रखते हुए कहा।

 

"कुछ मंगवाया क्या?" रचना की तरफ देखे बगैर ही तन्वी ने कहा।

 

तभी सिसकियों की आवाज सुनकर उसने उस तरफ मुंह फेरा।

 

"अरे! इसी क्या हुआ? फिर से ब्रेकअप हो गया क्या?" उसने हंसते हुए कहा।

 

"श्श.... कुछ बोलने से पहले उसकी तरफ देख तो लेती। इस तरह से बोलते हैं?" नीरजाने रचना के सर पर हाथ रखते हुए कहा।

 

नीरजा इस ग्रुप के सबसे होशियार और स्मार्ट लड़की थी। उसका दिमाग कुछ ज्यादा ही तेज चलता था। वह हर एक चीज को बहुत ही लॉजिकली जांचती थी। उसको पढ़ाई में और बुक रीड करने में ज्यादा मजा आता था। उसे रचना का यूं बार-बार किसी के प्यार में पढ़ना नादानी लगती थी। काफी बार वह रचना को प्यार से समझाती भी थी।

 

"रचना, यूं किसी के लिए अपने आप को बदलना या हमेशा अवेलेबल रखना अच्छी बात नहीं है। इससे लोगों को झूठा वहम हो जाता है कि हम उनके बगैर नहीं रह सकते इसलिए वह हमें परेशान करने की अथॉरिटी ले लेते हैं। तू सोच समझ कर प्यार कर ताकि कोई तुझे उल्लू ना बना सके।"

उसे किसी पर भी डिपेंड होना पसंद नहीं था। पर रचना उसकी बेस्ट फ्रेंड होने की वजह से वह उसे ज्यादा फोर्स नहीं करती थी। रचना का दिल टूटता था तब तब हमेशा वहां पर हाजिर होती थी।

 

तन्वी इस ग्रुप के सबसे अमीर लड़की थी। उसे लड़कों में सिर्फ पैसा और करियर देखने में ही मजा आता था। तन्वी को किसी के पीछे नहीं पड़ना पड़ता था। बल्कि लड़के उसके पीछे पड़ते थे। ऐसा लगता था कि और अपनी पर्सनालिटी पर ध्यान देने से किसी भी लड़की को अपने प्यार में पागल बना सकती हैं। जबकि हकीकत यह थी कि सब लड़के उसके पीछे उसके पैसों की वजह से पडते थे। अभी तक तो तन्वी ने किसी को भाव नहीं दिया था सिवाय एक के। युवराज। युवराज वह लड़का था जिसे तन्वी पसंद करती थी। युवराज और तन्वी दोनों लगभग एक दूसरे के समान थे। युवराज भी खूब अमीर और हैंडसम था।

 

तन्वी की बात सुनकर रचना फूट-फूट कर रोने लगी।

 

"अरे ! अरे! मेरा मतलब यह नहीं था।  मुझे लगा था...." तन्वी ने रचना को रोते हुए देख बोला।

 

"हां पर जो भी बोला वह सच ही बोला ना?" रचना ने रोते हुए कहा।

 

"मुझे तो लगा था कि कोई और बात है। तुम्हारी और तुषार की जोड़ी तो एकदम परफेक्ट थी। दो साल तक यह थी बनी रही। यह कैसे और कब हुआ? आई एम रियली सॉरी। क्या हुआ? " तन्वी ने रचना को संभालते हुए कहा।

 

तन्वी , नीरजा और रचना  तीनों एक दूसरे के बगैर अधूरी थी। तीनों को एक दूसरे से अलग करने की बहुत से लोगों ने कोशिश की थी। कोई कामयाब नहीं हुआ था। तीनों एक दूसरे को सब कुछ बताते थे। छोटी से छोटी बात और बड़ी से बड़ी समस्या। इन  तीनों में एक दूसरे को जज करने वाली कोई बात नहीं थी। तीनों एक दूसरे को रिस्पेक्ट देते थे। एक दूसरे की प्राइवेसी का सम्मान करते थे। बहुत कम लम्हें ऐसे थे जब उनके बीच में किसी भी बात को लेकर मतभेद हुआ था। तीनों लगभग एक सा सोचते थे। तीनों एक सा महसूस भी करते थे।

 

इसके अलावा तीनों एक-दूसरे पर अपना हक समझते थे। किसी के लिए जान भी देनी पड़े तो हाजिर हो जाते थे। आज इन तीनों की दोस्ती की वजह से रचना रो रही थी

 

"वह हमेशा हम तीनों की दोस्ती को पर सवाल उठाता था। मैंने उसे काफी बार बोला था कि वही मेरे लिए बढ़कर है। फिर भी वह हमेशा उसी बात पर झगड़ा करता रहता था। वैसे मुझे भी लगता था कि अब यह रिश्ता ज्यादा नहीं चल सकेगा। पर आज उसने छोड़ दिया तो मैं सह नहीं पा रही हूं। मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।"सिसकते हुए रचना ने कहा।

 

"फिर छोड़ ना उसके बारे में सोचना। चल, कैपेचीनो पीते हैं। " तन्वी ने मुस्कुरा कर कहा।

 

रचना ने अपने आंसू पोंछते हुए हां में सिर हिलाया।

 

"कब से रोए जा रही है? इतना भी किसी के ऊपर डिपेंड मत हो। किसी के लिए आंसू बहाने से अच्छा है कि हम अपने विकास के लिए उस समय को यूटिलाइज करें।" नीरजाने भी जगह लेते हुए कहा।

 

तन्वी ने वेइटर को बुलाते हुए कहा, " भैया , तीन कैपचीनो  आइसक्रीम डालकर लाइए।"



रचना ने नीरजा के सामने देखकर हंस दिया।

 

"तेरा यह रोज का हो चुका है। तुझे भी ना दिल टूटने का दर्द ना मिले तो खाना हजम नहीं होता। खबरदार किसी लड़के से प्यार किया तो...।" नीरजा ने मुंह बिगड़ते हुए कहा।

 

"तो क्या अब मुझे लड़की से प्यार करना है?" रचना ने मासूम चेहरा बनाते हुए कहा।

 

"किसी से नहीं करना है। " नीरजा और तनवी दोनों उस पर भड़क उठे।

तीनों मिलकर जोर से हंस पड़े।उन तीनों को इतनी जोर से हंसता देख उनकी तरफ देख रहे थे। थोड़ी देर में वेइटर आया और उन तीनों के लिए कैप्युचीनो वहां पर रखकर चला गया। रचना का मूड़ ठीक लग रहा था।

 

"यार एक ही इंसान को मेरा बाबू मेरा शोना क्या कहकर मैं थक गई थी। पर अब मुझे प्यार नहीं करना। तुम सही कह रही हो। अब मुझे कुछ अलग करना है। पर क्या करेंगे? और तुम दोनों  दोगी ना मेरा साथ?" रचना ने अपने ओरिजिनल अंदाज में कहा।

 

"हां, मेरी जान हम तो हमेशा तेरे साथ हैं। " तन्वी ने मुस्कुरा कर कहा।

 

" पर अगर फिर से तूने कुछ लफड़ा किया तो तू देख।" नीरजा ने हंसते हुए कहा।

 

"अरे ना बाबा मेरी क्या शामत आई है?" घबराया हुआ मुंह करके कहा। तीनों फिर से हंस पड़े। आखिर तीनों ही जानते थे कि कुछ ही दिनों में रचना फिर से किसी और के प्यार में पागल हो जाएगी। आखिर वह लोग कर ही क्या सकते थे? क्योंकि रचना तो अपने दिल के हाथों हमेशा मजबूर रहती थी। 

 

सिम्पल सी लगने वाली यह लड़की हकीकत में एक तूफान थी। पर जब तक इस तूफान की चिनगारी जलती नहीं थी तब तक वह एक आम इंसान ही थी। 

 

पूरा दिन ऐसे ही कैन्टीन और बगीचे में घूमते घूमते वह लोग थक गए थे। तीनों अपने फ्लैट पर वापस गए और अपने अपने कमरे में जाकर सो गए।





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