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પ્રકરણ 1

प्रस्तावना :-

     मित्रो भावसभर दोहा छंद के साथ अटपटी भाषामां भगवान सुर्यदेवने नमन करी सवारे हदयना भावोथी भीतरथी जे प्रगटे ते रचना आपनी समक्ष रजु करु छू, मारा वडिल भाई मित्र नवघणसिह वाघेला पण रोज सूंन्दर दोहा लखे छे, तेमनी पासेथी प्रेरणा पण मले छे, अने आ मारी स्वरचनाओ छे, कोपी पेस्ट नही.

                जय माताजी


          ⛳  સૂર્ય વંદના☀

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क्रोधित बजरंगी भले आवीया
             स्व माता नी रक्षा काज
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नम्र बनी ग्रास बनता जमाईना
           मान जाणवता बजरंगीनु भाण

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           ????हे भगवान सूरज नारायण ज्यारे विर हनुमान बचपणमां पोतानी मातानो श्राप उतारवा क्रोधीत बनी तमने कोणीयो बनावि गणवा जता हता, त्यारे आप नम्र हता
        केम के आप जाणता हता के भविष्यमां आपनी पुत्री सुवर्चला ना लग्न आ महाबली रामभक्त साथे थवाना छे अने आ नारायण अवतार रामना परम भक्त बनशे.
         तैथी मान मर्यादा जमाई तरिके जाणववा माटै थई आप शक्तिमान होवा छतां नम्र बनी विर बजरंगीना मोढानो ग्रास(कोणीयो) बनी गयेला,ने साची संस्क्रुतीने मान मर्यादानु जतन करेल हतु,
जगतने संस्क्रुती ने मान मर्यादा शिखवनार है सुर्य नारायण भगवान
       ☀ मारां आपने नित्य वंदन छे 

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