बेपरवाह आगाज़
उन्होंने आगाज़ तो कर दी,
और हम बन गए हमराह।
उन्हें अंजाम से डर था,
और हम लुफ़्त उठा रहे थे,
सफर का, होके बेफिक्र ।
अंजाम से होके अंजान,
हसरतों को सजाना भी,
जेसे गुनाह सा हो गया।
खुशियों के इंतजार में ,
गम से याराना हो गया।
उन्होंने आगाज़ तो कर दी,
और हम बन गए हमराह।
उन्हें अंजाम से डर था,
और हम लुफ़्त उठा रहे थे,
सफर का, होके बेफिक्र ।
अंजाम से होके अंजान,
हसरतों को सजाना भी,
जेसे गुनाह सा हो गया।
खुशियों के इंतजार में ,
गम से याराना हो गया।