पत्रकारिता में एक लंबा सक्रिय जीवन। दूरदर्शन के लिए कई डाक्यूमेंट्री, धारावाहिक लेखन, आकाशवाणी से खेल पत्रिका कार्यक्रम का संचालन, कॉलमनिस्ट।
Book Summary
एक नाम वो जो नामकरण संस्कार के वक्त रखा जाता है दूसरा वह जो व्यक्ति का कर्म उसे प्रदान करता है और लोकप्रिय हो जाता है। व्यक्ति उसी नाम से पहचाना जाने लगता है। ये ख्याति है। किंतु नामकरण संस्कार के नाम और कर्म से अर्जित किए नाम की ख्याति तक पहुंचने के बीच एक बहुत लम्बा सफर होता है। बहुत कुछ खोता है आदमी। घटनाएं, परिस्थितियां व्यक्ति को अपने हिसाब से ढालती है। उसे नहीं पता होता कि वो जीवन में क्या करेगा? क्या बनेगा? एक सिलसिला होता है जो उसे स्थापित करता है। अच्छा और बुरा, दोनों तरह का वो हो सकता है। सबकुछ उसके द्वारा भोगी जा रही घटनाओं या परिस्थितियों का प्रतिफल होता है जो उसे उभारकर सामने ला खड़ा करता है।
ऐसे ही एक चरित्र को अपनी कथा में उतारने का प्रयास किया गया है। 'लोटन बाबा' बहुत सामान्य,सरल और सहज लिखी गई कथा है, जिसमें आंचलिक बोली की एक विशेष शैली का इस्तेमाल किया गया है ताकि वो एक विशेष स्थान की कहानी प्रतीत हो- बिना किसी नगर या गाँव के नामोल्लेख के। मालवा, इसमें भी खासतौर पर इंदौर की बोलने वाली शैली तथा कहीं कहीं निमाड़ी का 'टच' है।