अपनी कल्पना को शब्दबद्ध कर उनको उड़ने देती हूँ। कई बार वे कहानी बन जाते हैं और कभी कभार उपन्यास।
Book Summary
एक अनूदित कहानी। बचपन में पिता जी के बुक- शेल्फ में मिली थी वह किताब- " आरो विचित्र काहिनी" लेखक थे तुषार कांति घोष। इनमें कई सारी अजीबोगरीब परंतु सत्य- कथाएँ थीं जिनमें से यह वाली कहानी मुझे आज, इतने वर्षों के याद भी रह गई। अक्षरशः अनुवाद नहीं कर पाई क्योंकि स्मृति में कहानी अब थोड़ी धुंधला गई हि। जितना याद था, उसी को अपने शब्दों में कुछ नए पात्र-योजनाओं के साथ मेरे पाठकों के समक्ष उपस्थित कर रही हूँ। कहानी पढ़कर आपको कैसी लगी, मुझे बताना न भूलिएगा।