सुबह का वक्त और कहानी के साथ एक कप सुकून भरी चाय मिल जाए तो दिन बन जाए
Book Summary
कुछ साल पहले किरण खेर जी की एक लाइन सुनी थी, "बेटों की मां का भी एक अलग दुख होता है। इसे क्या पहनाउ? ले दे कर वही चार रंग! बेटी होती तो यू सजाती, यू सँवारती!"
वास्तव में बेटों की मां होना भी एक अलग ही दुख है आज भी इस जमाने में बेटी पैदा होने पर सबके चेहरे पर मायूसी होती है लेकिन सिर्फ एक माँ ही है जिसका मन खिल् उठता है। यह बात मैंने तब जाना और महसूस किया जब मैं खुद दो बेटों की माँ बनी। आज भी बेटियों के लिए हालात नहीं बदले है। मैं लेकर आई हूं एक कहानी उनके लिए, जिन्हें बेटे और बेटियों में कोई अंतर नजर नहीं आता।