मैंने एक पाठक और लेखक के तौर पर शापीजन ज्वाइन किया है
Book Summary
परछाई मेरी पहली पुस्तक है। कितने सवाल हमारे मस्तिष्क में दस्तक देते हैं। बहुत से ऐसे सत्य या बहकावे जिन्हें हम सच समझ कर जीवन भर अपने ऊपर ढोते रहते हैं। कारण अनेक हो सकते हैं। ईश्वर से भय , लोग क्या कहेंगे ? अटूट विश्वास जिन्हें अपनाकर व्यक्ति प्रयोग करते हैं। जब वह प्रयोग सफल नहीं होते तब अनेक आवरण का सहारा लेकर उन्हें सत्य साबित करते हुए औरों को भी उस जाल में ले लेते हैं।
नादानी, महत्वाकांक्षाएं, सम्मानित और पूजनीय बनने की चाहत तथा परिस्थिति जन्य अनेक विविध पहलुओं पर है यह पुस्तक। जिसमें अपने गांव की मिट्टी की महक है तो ऊंचाई पर पहुंचने पर मानव स्वभाव का सहज रूपांतरण भी है।
मीरा परिहार